Tuesday, 31 July 2018

अनार के फायदे

अनार शरीर के लिए बहुत फायदेमंद है क्योंकि अनार फाइबर विटामिन C में समृद्ध है। फोलिक एसिड के विटामिन A और एंटीऑक्सिडेंट को अनार स्वास्थ्य के साथ सौंदर्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण पाया जाता है, ताकि सभी फल शरीर को कुछ रूप में लाभ पहुंचा सकें। लेकिन अनार को शरीर के लिए सबसे गुणकारी बताया गया है जैसे कि एक कहावत है एक अनार सौ बीमार यानी अनार का सेवन दो तरह की बीमारियों से लड़ने की क्षमता देता है। अगर आप 7 दिनों तक लगातार अनार का जूस पीते हैं तो उसे आपको क्या फायदे हो सकते हैं।

1. मधुमेह :
मधुमेह रोगियों के लिए अनार के सेवन को बहुत ही फायदेमंद बताया गया है आप सोचते होंगे कि अनार में तो शुगर होती है। लेकिन अनार के जूस में जरूर होता है जिसे रक्त का शुगर लेवल नहीं बढ़ता मधुमेह रोगियों को अन्य फल और उनसे तैयार किए गए जूस पीने की सलाह कम दी जाती है।

2. कैंसर :

अनार का सेवन शरीर में मौजूद विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में हेल्प करता है जिससे कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियों से बचाव होता है। अनार में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट तत्व शरीर के टॉक्सिन को बाहर निकालता है ब्रेस्ट कैंसर में यह बहुत ही फायदेमंद फल है।

3. वजन घटाएँ :

यदि आपका वजन सामान्य से ज्यादा हो तो अनार का सेवन आपके लिए बहुत ही फायदेमंद होगा अनार के सेवन से कमर पर जमी चर्बी को कम किया जा सकता है। मोटे व्यक्ति की सबसे ज्यादा चर्बी कमर पर ही होती है यदि आप अनार नहीं खा सकते तो इसका जूस भी आपके लिए बहुत फायदेमंद होगा।

4. हड्डी रोगों में :

अनार के रस के प्रतिदिन सेवन से हड्डियों और जोड़ों के दर्द से राहत मिलती है। डॉक्टर भी अनार खाने की सलाह देते हैं अनार का सेवन शरीर में कौटिल्य को तोड़ने में सहायक है।

5. हृदय रोगियों के लिए :

अनार खाने या अनार का जूस पीने से रक्त संचालन अच्छी तरह से होता है जिससे हार्ट अटैक का खतरा काफी कम होता है। अनार के जूस में पाए जाने वाले तत्व कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करते हैं और रक्त को शुद्ध करते हैं। पाचन क्रिया को दुरुस्त प्रतिदिन अनार का सेवन करने से पाचन संबंधित समस्याएं को आराम मिलता है।यदि आपकी पाचन क्रिया सही है तो आपको रोग होने की आशंका कम रहती है। अनार के नियमित सेवन से धमनियां भी ठीक रहती है।

6. चेहरे पर निखार :

अनार स्वास्थ्य के साथ ही सुंदरता के लिए भी बहुत फायदेमंद है आयुर्वेद में इसे सुंदरता को बढ़ाने वाला फल कहा जाता है। अनार के छिलके से तैयार किए गए  स्क्र्ब को इस्तेमाल करने से चेहरे के ब्लैक और व्हाइट हेड्स निकल जाते हैं। अनार का प्रतिदिन सेवन आपकी त्वचा में निखार लाता है जिससे आप पहले से ज्यादा सुंदर लगते हैं।

7. प्रेग्नेंट लेडीज के लिए :

अनार में विटामिन और मिनरल के साथ-साथ फ्लोरिक एसिड पाया जाता है जो कि गर्भ में पल रहे शिशु के लिए अच्छा भोजन है यह शिशु की रक्षा करता है। अनार में पाया जाने वाला पोटेशियम महिलाओं को पैरों में होने वाले दर्द से राहत देता है। इसके सेवन से प्रीमेच्योर डिलीवरी का खतरा कम होता है।

Wednesday, 25 July 2018

गन्ने के रस के जबरदस्त फायदे

🎋गन्ने रस के जबरदस्त फायदे 🎋

👉गन्‍ने में बहुत सा विटामिन और मिनरल पाया जाता है जो कि शरीर के लिये बहुत अच्‍छा माना जाता है।
👉गन्ने के रस में फास्फोरस, लोहा, पोटेशियम, कैल्शियम और मैग्नीशियम अधिक मात्रा में पाया जाता है।
कई लोगों को ज्‍यादा पानी पीने की आदत नहीं होती जिससे उन्‍हें डीहाइड्रेशन हो जाता है। शरीर में पानी की कमी ना होने पाए इसके लिये गन्‍ने का रस पीजिये। गर्मियों में भी अपने शरीर को ठंडा रखने के लिये गन्‍ने का रस पीजिये।
👉 गन्ने के रस में अदरक का रस एवं नारियल पानी मिलाकर सेवन करने से पाचन क्रिया सुधरती है।
👉हृदय की जलन व कमजोरी दूर होती है।
👉यह जीवनीशक्ति व नेत्रों की शक्ति को कायम रखता है।
👉गन्ने का रस पीने से हिचकी बंद हो जाती है।
👉बुखार होने पर गन्‍ने का सेवन करने से बुखार जल्दी उतर जाता है।
👉इसमें पालक , पुदीना , अदरक , निम्बू , काला और सेंधा नमक , काली मिर्च आदि मिलवा कर पीना चाहिए।
👉गन्ने के रस में ज्यादा बर्फ मिलाकर नहीं पीना चाहिए, सिर्फ रस पीना ज्यादा फायदेमंद है।
👉इसे पीने से कई तरह की बीमारियां जैसे, एनीमिया, जौण्डिस(पीलिया) हिचकी आदि ठीक हो जाते हैं।
👉अम्लपित्त, रोगों में गन्ने का ताजा रस काफी फायदेमंद है।
👉पीलिया ठीक करने के लिये रोज दो गिलास गन्‍ने के रस में नींबू और नमक मिला कर पीना चाहिये,और गेहूं के दाने के बराबर चुना मिलाकर पिएं लगातार 5-7दिन।।
👉लिवर के रोगों में रामबाण औषधि है गन्ने का रस।
👉एसीडिटी के कारण होने वाली जलन में भी गन्ने का रस लाभदायक होता है।- गन्ने के रस का सेवन यदि नींबू के रस के साथ किया जाए तो पीलिया जल्दी ठीक हो जाता है।
👉मूत्र पथ(नली) के संक्रमण, यौन संचारित रोगों और पेट में सूजन आदि गन्‍ने के रस से ठीक हो जाती है।
👉सुबह 11 बजे से पहले पिने पर अमृत का काम करता है।
👉ओर भी बहुत अनगिनत फायदे है गन्ने के रस के......!

Tuesday, 24 July 2018

लौकी के फायदे

औषधीय गुणों से भरपूर लौकी_

1) हैजा होने पर 25 एमएल लौकी के रस में आधा नींबू का रस मिलाकर धीरे-धीरे पिएं। इससे मूत्र बहुत आता है। 

2) खांसी, टीबी, सीने में जलन आदि में भी लौकी बहुत उपयोगी होती है। 

3) हृदय रोग में, विशेषकर भोजन के पश्‍चात एक कप लौकी के रस में थोडी सी काली मिर्च और पुदीना डालकर पीने से हृदय रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।

4) लौकी में श्रेष्‍ठ किस्‍म का पोटेशियम प्रचुर मात्रा में मिलता है, जिसकी वजह से यह गुर्दे के रोगों में बहुत उपयोगी है और इससे पेशाब खुलकर आता है। 

5) लौकी श्‍लेषमा रहित आहार है। इसमें खनिज लवण अच्‍छी मात्रा में मिलती है। 

6) लौकी के बीज का तेल कोलेस्‍ट्रॉल को कम करता है तथा हृदय को शक्‍ति देता है। यह रक्‍त की नाडि़यों को भी स्‍वस्‍थ बनाता है।
लौकी का उपयोग आंतों की कमजोरी, कब्‍ज, पीलिया, उच्‍च रक्‍तचाप, हृदय रोग, मधुमेह, शरीर में जलन या मानसिक उत्‍तेजना आदि में बहुत उपयोगी है।

Sunday, 22 July 2018

   तांबे के बर्तन में रखे पानी को रोज सुबह पीने के फायदे-

   तांबे के बर्तन में रखे पानी को रोज सुबह पीने के फायदे-

1. तांबे के बर्तन में रखे पानी में यूरिक एसिड पाया जाता है। यह जोड़ों के दर्द के लिए रामबाण की तरह काम करता है।

2. तांबे में मौजूद कॉपर थायरेक्सिन हार्मोन को कंट्रोल करता है। इससे थायरॉयड का खतरा टलता है।

3. तांबे के बर्तन में रखे पानी को पीने से एसिडिटी व गैस की समस्या से निजात मिलती है और डाइजेशन सुधरता है।

4. तांबे के बर्तन में रखे पानी को पीने से त्वचा कई गुना ज्यादा जवां हो जाती है और सुन्दरता बढ़ जाती है।

5. तांबे के बर्तन में कम से कम आठ घंटे रखे पानी को पीने से एनिमिया और खून की कमी दूर होती है। इसमें मौजूद कॉपर आपके शरीर में खून की कमी को दूर करने में कारगर साबित होता है।

6. इस बर्तन में रखे पानी को पीने से कोलेस्ट्रॉल लेवल कम होता है और हॉर्ट में मजबूती आती है। दिल की बीमारियों को दूर रखने के लिए तांबे के बर्तन में रखे पानी को जरूर पीए।

7. तांबे के बर्तन में रखे पानी में पर्याप्त मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट्स होता है जो उम्र के असर को कम करने के साथ-साथ कैंसर से लड़में में भी सहायक होता है।

8. इस बर्तन में रखे पानी को पीने से वजन भी कम होता है।

9. तांबे में एंटी बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं, जो पानी में मौजूद खराब बैक्टीरिया को खत्म करके डायरिया, लूज मोशन और पीलिया जैसी बीमारियों से बचाता है।

10. तांबे में मौजूद एंटी बैक्टीरियल गुण घाव को भरने में सहायक होते हैं।

11. तांबे के बर्तन में रखे पानी को पीने से बालों का झड़ना भी कम होता है1

नोट : इस आर्टिकल में
१. रोगी के रोग की चिकित्सा करने वाले निकृष्ट , रोग के कारणों की चिकित्सा करने वाले औसत और रोग-मुक्त रखने वाले श्रेष्ठ चिकित्सक होते हैं ।
                     ..... अष्टांग ह्रदयम्
२. लकवा - सोडियम की कमी के कारण होता है ।
३. हाई वी पी में -  स्नान व सोने से पूर्व एक गिलास जल का सेवन करें तथा स्नान करते समय थोड़ा सा नमक पानी मे डालकर स्नान करे ।

४. लो वी पी - सेंधा नमक डालकर पानी पीयें ।
५. कूबड़ निकलना- फास्फोरस की कमी ।
६. कफ - फास्फोरस की कमी से कफ बिगड़ता है , फास्फोरस की पूर्ति हेतु आर्सेनिक की उपस्थिति जरुरी है । गुड व शहद खाएं
७. दमा, अस्थमा - सल्फर की कमी ।
८. सिजेरियन आपरेशन - आयरन , कैल्शियम की कमी ।
९. सभी क्षारीय वस्तुएं दिन डूबने के बाद खायें ।
१०. अम्लीय वस्तुएं व फल दिन डूबने से पहले खायें ।
११. जम्भाई - शरीर में आक्सीजन की कमी ।
१२. जुकाम - जो प्रातः काल जूस पीते हैं वो उस में काला नमक व अदरक डालकर पियें ।
१३. ताम्बे का पानी - प्रातः खड़े होकर नंगे पाँव पानी ना पियें ।
१४.  किडनी - भूलकर भी खड़े होकर गिलास का पानी ना पिये ।
१५. गिलास एक रेखीय होता है तथा इसका सर्फेसटेन्स अधिक होता है । गिलास अंग्रेजो ( पुर्तगाल) की सभ्यता से आयी है अतः लोटे का पानी पियें,  लोटे का कम  सर्फेसटेन्स होता है ।

१६. अस्थमा , मधुमेह , कैसर से गहरे रंग की वनस्पतियाँ बचाती हैं ।

१७. वास्तु के अनुसार जिस घर में जितना खुला स्थान होगा उस घर के लोगों का दिमाग व हृदय भी उतना ही खुला होगा ।
१८. परम्परायें वहीँ विकसित होगीं जहाँ जलवायु के अनुसार व्यवस्थायें विकसित होगीं ।
१९. पथरी - अर्जुन की छाल से पथरी की समस्यायें ना के बराबर है ।
२०. RO का पानी कभी ना पियें यह गुणवत्ता को स्थिर नहीं रखता । कुएँ का पानी पियें । बारिस का पानी सबसे अच्छा , पानी की सफाई के लिए सहिजन की फली सबसे बेहतर है ।
२१. सोकर उठते समय हमेशा दायीं करवट से उठें या जिधर का स्वर चल रहा हो उधर करवट लेकर उठें ।
२२. पेट के बल सोने से हर्निया, प्रोस्टेट, एपेंडिक्स की समस्या आती है ।
२३.  भोजन के लिए पूर्व दिशा , पढाई के लिए उत्तर दिशा बेहतर है ।
२४.  HDL बढ़ने से मोटापा कम होगा LDL व VLDL कम होगा ।
२५. गैस की समस्या होने पर भोजन में अजवाइन मिलाना शुरू कर दें ।
२६.  चीनी के अन्दर सल्फर होता जो कि पटाखों में प्रयोग होता है , यह शरीर में जाने के बाद बाहर नहीं निकलता है। चीनी खाने से पित्त बढ़ता है ।
२७.  शुक्रोज हजम नहीं होता है फ्रेक्टोज हजम होता है और भगवान् की हर मीठी चीज में फ्रेक्टोज है ।
२८. वात के असर में नींद कम आती है ।
२९.  कफ के प्रभाव में व्यक्ति प्रेम अधिक करता है ।
३०. कफ के असर में पढाई कम होती है ।
३१. पित्त के असर में पढाई अधिक होती है ।

३३.  आँखों के रोग - कैट्रेक्टस, मोतियाविन्द, ग्लूकोमा , आँखों का लाल होना आदि ज्यादातर रोग कफ के कारण होता है ।
३४. शाम को वात-नाशक चीजें खानी चाहिए ।
३५.  प्रातः 4 बजे जाग जाना चाहिए ।
३६. सोते समय रक्त दवाव सामान्य या सामान्य से कम होता है ।
३७. व्यायाम - वात रोगियों के लिए मालिश के बाद व्यायाम , पित्त वालों को व्यायाम के बाद मालिश करनी चाहिए । कफ के लोगों को स्नान के बाद मालिश करनी चाहिए ।
३८. भारत की जलवायु वात प्रकृति की है , दौड़ की बजाय सूर्य नमस्कार करना चाहिए ।
३९. जो माताएं घरेलू कार्य करती हैं उनके लिए व्यायाम जरुरी नहीं ।
४०. निद्रा से पित्त शांत होता है , मालिश से वायु शांति होती है , उल्टी से कफ शांत होता है तथा उपवास ( लंघन ) से बुखार शांत होता है ।
४१.  भारी वस्तुयें शरीर का रक्तदाब बढाती है , क्योंकि उनका गुरुत्व अधिक होता है ।
४२. दुनियां के महान वैज्ञानिक का स्कूली शिक्षा का सफ़र अच्छा नहीं रहा, चाहे वह 8 वीं फेल न्यूटन हों या 9 वीं फेल आइस्टीन हों , 43. माँस खाने वालों के शरीर से अम्ल-स्राव करने वाली ग्रंथियाँ प्रभावित होती हैं ।
४४. तेल हमेशा गाढ़ा खाना चाहिएं सिर्फ लकडी वाली घाणी का , दूध हमेशा पतला पीना चाहिए ।
४५. छिलके वाली दाल-सब्जियों से कोलेस्ट्रोल हमेशा घटता है ।
४६. कोलेस्ट्रोल की बढ़ी हुई स्थिति में इन्सुलिन खून में नहीं जा पाता है । ब्लड शुगर का सम्बन्ध ग्लूकोस के साथ नहीं अपितु कोलेस्ट्रोल के साथ है ।
४७. मिर्गी दौरे में अमोनिया या चूने की गंध सूँघानी चाहिए ।
४८. सिरदर्द में एक चुटकी नौसादर व अदरक का रस रोगी को सुंघायें ।
४९. भोजन के पहले मीठा खाने से बाद में खट्टा खाने से शुगर नहीं होता है ।
५०. भोजन के आधे घंटे पहले सलाद खाएं उसके बाद भोजन करें ।
५१. अवसाद में आयरन , कैल्शियम , फास्फोरस की कमी हो जाती है । फास्फोरस गुड और अमरुद में अधिक है ।
५२.  पीले केले में आयरन कम और कैल्शियम अधिक होता है । हरे केले में कैल्शियम थोडा कम लेकिन फास्फोरस ज्यादा होता है तथा लाल केले में कैल्शियम कम आयरन ज्यादा होता है । हर हरी चीज में भरपूर फास्फोरस होती है, वही हरी चीज पकने के बाद पीली हो जाती है जिसमे कैल्शियम अधिक होता है ।
५३.  छोटे केले में बड़े केले से ज्यादा कैल्शियम होता है ।
५४. रसौली की गलाने वाली सारी दवाएँ चूने से बनती हैं ।
५५.  हेपेटाइट्स A से E तक के लिए चूना बेहतर है ।
५६. एंटी टिटनेस के लिए हाईपेरियम 200 की दो-दो बूंद 10-10 मिनट पर तीन बार दे ।
५७. ऐसी चोट जिसमे खून जम गया हो उसके लिए नैट्रमसल्फ दो-दो बूंद 10-10 मिनट पर तीन बार दें । बच्चो को एक बूंद पानी में डालकर दें ।
५८. मोटे लोगों में कैल्शियम की कमी होती है अतः त्रिफला दें । त्रिकूट ( सोंठ+कालीमिर्च+ मघा पीपली ) भी दे सकते हैं ।
५९. अस्थमा में नारियल दें । नारियल फल होते हुए भी क्षारीय है ।दालचीनी + गुड + नारियल दें ।
६०. चूना बालों को मजबूत करता है तथा आँखों की रोशनी बढाता है ।
६१.  दूध का सर्फेसटेंसेज कम होने से त्वचा का कचरा बाहर निकाल देता है ।
६२.  गाय की घी सबसे अधिक पित्तनाशक फिर कफ व वायुनाशक है ।
६३.  जिस भोजन में सूर्य का प्रकाश व हवा का स्पर्श ना हो उसे नहीं खाना चाहिए । जैसे - प्रेशर कूकर
६४.  गौ-मूत्र अर्क आँखों में ना डालें ।
६५.  गाय के दूध में घी मिलाकर देने से कफ की संभावना कम होती है लेकिन चीनी मिलाकर देने से कफ बढ़ता है ।
६६.  मासिक के दौरान वायु बढ़ जाता है , ३-४ दिन स्त्रियों को उल्टा सोना चाहिए इससे  गर्भाशय फैलने का खतरा नहीं रहता है । दर्द की स्थति में गर्म पानी में देशी घी दो चम्मच डालकर पियें ।

६७. रात में आलू खाने से वजन बढ़ता है ।

६८. भोजन के बाद बज्रासन में बैठने से वात नियंत्रित होता है ।
६९. भोजन के बाद कंघी करें कंघी करते समय आपके बालों में कंघी के दांत चुभने चाहिए । बाल जल्द सफ़ेद नहीं होगा ।
७०. अजवाईन अपान वायु को बढ़ा देता है जिससे पेट की समस्यायें कम होती है ।
७१. अगर पेट में मल बंध गया है तो अदरक का रस या सोंठ का प्रयोग करें ।

७२. कब्ज होने की अवस्था में सुबह पानी पीकर कुछ देर एडियों के बल चलना चाहिए ।

७३. रास्ता चलने, श्रम कार्य के बाद थकने पर या धातु गर्म होने पर दायीं करवट लेटना चाहिए ।
७४. जो दिन मे दायीं करवट लेता है तथा रात्रि में बायीं करवट लेता है उसे थकान व शारीरिक पीड़ा कम होती है ।

७५.  बिना कैल्शियम की उपस्थिति के कोई भी विटामिन व पोषक तत्व पूर्ण कार्य नहीं करते है ।

७६. स्वस्थ्य व्यक्ति सिर्फ 5 मिनट शौच में लगाता है ।
७७. भोजन करते समय डकार आपके भोजन को पूर्ण और हाजमे को संतुष्टि का संकेत है ।
७८. सुबह के नाश्ते में फल , दोपहर को दही व रात्रि को दूध का सेवन करना चाहिए ।
७९. रात्रि को कभी भी अधिक प्रोटीन वाली वस्तुयें नहीं खानी चाहिए । जैसे - दाल , पनीर , राजमा , लोबिया आदि ।

८०.  शौच और भोजन के समय मुंह बंद रखें , भोजन के समय टी वी ना देखें ।
८१. मासिक चक्र के दौरान स्त्री को ठंडे पानी से स्नान , व आग से दूर रहना चाहिए ।
८२. जो बीमारी जितनी देर से आती है , वह उतनी देर से जाती भी है ।
८३. जो बीमारी अंदर से आती है , उसका समाधान भी अंदर से ही होना चाहिए ।
८४. एलोपैथी ने एक ही चीज दी है , दर्द से राहत । आज एलोपैथी की दवाओं के कारण ही लोगों की किडनी , लीवर , आतें , हृदय ख़राब हो रहे हैं । एलोपैथी एक बिमारी खत्म करती है तो दस बिमारी देकर भी जाती है ।
८५. खाने की बस्तु में कभी भी ऊपर से नमक नहीं डालना चाहिए , ब्लड-प्रेशर बढ़ता है ।
८६ .  रंगों द्वारा चिकित्सा करने के लिए इंद्रधनुष को समझ लें , पहले जामुनी , फिर नीला ..... अंत में लाल रंग ।
८७ . छोटे बच्चों को सबसे अधिक सोना चाहिए , क्योंकि उनमें वह कफ प्रवृति होती है , स्त्री को भी पुरुष से अधिक विश्राम करना चाहिए ।
८८. जो सूर्य निकलने के बाद उठते हैं , उन्हें पेट की भयंकर बीमारियां होती है , क्योंकि बड़ी आँत मल को चूसने लगती है ।
८९.  बिना शरीर की गंदगी निकाले स्वास्थ्य शरीर की कल्पना निरर्थक है , मल-मूत्र से 5% , कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ने से 22 %, तथा पसीना निकलने लगभग 70 % शरीर से विजातीय तत्व निकलते हैं ।
९०. चिंता , क्रोध , ईष्या करने से गलत हार्मोन्स का निर्माण होता है जिससे कब्ज , बबासीर , अजीर्ण , अपच , रक्तचाप , थायरायड की समस्या उतपन्न होती है ।
९१.  गर्मियों में बेल , गुलकंद , तरबूजा , खरबूजा व सर्दियों में सफ़ेद मूसली , सोंठ का प्रयोग करें ।

९२. प्रसव के बाद माँ का पीला दूध बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता को 10 गुना बढ़ा देता है । बच्चो को टीके लगाने की आवश्यकता नहीं होती  है ।

९३. रात को सोते समय सर्दियों में देशी मधु लगाकर सोयें त्वचा में निखार आएगा ।
९४. दुनिया में कोई चीज व्यर्थ नहीं , हमें उपयोग करना आना चाहिए ।
९५. जो अपने दुखों को दूर करके दूसरों के भी दुःखों को दूर करता है , वही मोक्ष का अधिकारी है ।
९६. सोने से आधे घंटे पूर्व जल का सेवन करने से वायु नियंत्रित होती है , लकवा , हार्ट-अटैक का खतरा कम होता है ।
९७. स्नान से पूर्व और भोजन के बाद पेशाब जाने से रक्तचाप नियंत्रित होता है ।
९८ . तेज धूप में चलने के बाद , शारीरिक श्रम करने के बाद , शौच से आने के तुरंत बाद जल का सेवन निषिद्ध है ।
९९. त्रिफला अमृत है जिससे वात, पित्त , कफ तीनो शांत होते हैं । इसके अतिरिक्त भोजन के बाद पान व चूना ।  देशी गाय का घी , गौ-मूत्र भी त्रिदोष नाशक है ।
१००. इस विश्व की सबसे मँहगी दवा लार है , जो प्रकृति ने तुम्हें अनमोल दी है ,  इसे ना थूके ।
जो प्रकृति ने तुम्हें अनम।

Wednesday, 18 July 2018

डिप्रेशन दूर करने के तरीके

🔴. डिप्रेशन में तुलसी के पत्ते :- तुलसी को सबसे पवित्र जड़ी बूटी माना जाता है। इसे जड़ीबूटियों की रानी भी कहा जाता है। तुलसी के पत्ते तनाव को दूर करते हैं। तुलसी की पत्तियाँ तनाव के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करती है। तुलसी की दस से बारह पत्तियों को दिन में दो बार चबाने से तनाव को दूर किया जा सकता है साथ ही इसका सेवन करके रक्त को शुद्द भी किया जाता है।

🔴. डिप्रेशन में इलाइची :- यदि आप किसी चिंता में हैं या अकेलापन महसूस कर रहे हैं। ऐसे में आप डिप्रेशन का शिकार हो सकते हैं। तनाव मुक्त रहने में इलाइची आपकी बहुत मदद करती है।

🔴 डिप्रेशन में काली मिर्च :-काली मिर्च में पिपेरिन सेरोटोनिन उत्पादन में वृद्दि करके एक एंटी डिप्रेशन के रूप में कार्य करता है। काली मिर्च का सेवन करने से तनाव कम होता है और कल्याण की भावना पैदा हो जाती है। जिससे चिंता और उदासी कम हो जाती हैं

🔴 डिप्रेशन में अदरक .यदि आप डिप्रेशन का शिकार हो रहें हैं और आप इलाइची को पसंद नहीं करते। तब आप अपनी चाय में अदरक डाल सकते हैं।

🔴. डिप्रेशन में नींबू :- नींबू भले ही आयुर्वेद औषधि नहीं है, लेकिन इसमें ऐसे गुण मौजूद होते हैं जो आपके अवसाद को कम करके आपके मन को खुश करने में सहायक होते हैं।

Tuesday, 17 July 2018

कमर दर्द से बचने के घरेलू उपाय

*कमर दर्द से बचने के घरेलू उपाय*

🔴. रोज सुबह सरसों या नारियल के तेल में लहसुन की तीन-चार कलियॉ डालकर (जब तक लहसुन की कलियां काली न हो जायें) गर्म कर लें। ठंडा होने पर इस तेल से कमर की मालिश करें। 

🔴 नमक मिले गरम पानी में एक तौलिया डालकर निचोड़ लें। इसके बाद पेट के बल लेट जाएं। दर्द के स्थान पर तौलिये से भाप लें। कमर दर्द से राहत पहुंचाने का यह एक अचूक उपाय है। 

🔴. कढ़ाई में दो-तीन चम्मच नमक डालकर इसे अच्छे से सेक लें। इस नमक को थोड़े मोटे सूती कपड़े में बांधकर पोटली बना लें। कमर पर इस पोटली से सेक करने से भी दर्द से आराम मिलता है। 

🔴. अजवाइन को तवे के पर थोड़ी धीमी आंच पर सेंक लें। ठंडा होने पर धीरे-धीरे चबाते हुए निगल जाएं। इसके नियमित सेवन से कमर दर्द में लाभ मिलता है। 

🔴 अधिक देर तक एक ही पोजीशन में बैठकर काम न करें। हर चालीस मिनट में अपनी कुर्सी से उठकर थोड़ी देर टहल लें।

Monday, 16 July 2018

भोजन से प्रतिरोध क्षमता कैसे बढे?

रोग प्रतिरोधक क्षमता के कमजोर होने के कई कारण हो सकते हैं. कई बार ये खानपान की लापरवाही की वजह से होता है, कई बार नशा करने की गलत आदतों के चलते और कई बार यह जन्मजात कमजोरी की वजह से भी होता है.

इम्यून पावर के कमजोर होने पर बीमार होने की आशंका बढ़ जाती है. ऐसे में ये बहुत जरूरी है कि हम अपनी इम्यून पावर को बनाए रखें.

यहां ऐसे ही कुछ उपायों का जिक्र है जिन्हें आजमाकर आप एक सप्ताह के भीतर अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकते हैं :

1. ग्रीन टी और ब्लैक टी, दोनों ही इम्यून सिस्टम के लिए फायदेमंद होती हैं लेकिन एक दिन में इनके एक से दो कप ही पिएं. ज्यादा मात्रा में इसके सेवन से नुकसान हो सकता है.

2. कच्चा लहसुन खाना भी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बूस्ट करने में सहायक होता है. इसमें पर्याप्त मात्रा में एलिसिन, जिंक, सल्फर, सेलेनियम और विटामिन ए व ई पाए जाते हैं.

3. दही के सेवन से भी इम्यून पावर बढ़ती है. इसके साथ ही यह पाचन तंत्र को भी बेहतर रखने में मददगार होती है.

4. ओट्स में पर्याप्त मात्रा में फाइबर्स पाए जाते हैं. साथ ही इसमें एंटी-माइक्राबियल गुण भी होता है. हर रोज ओट्स का सेवन करने से इम्यून सिस्टम मजबूत बनता है.

5. विटामिन डी हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है. इससे कई रोगों से लड़ने की ताकत मिलती है. साथ ही हड्डियों को मजबूत बनाए रखने के लिए और दिल संबंधी बीमारियों को दूर रखने के लिए भी विटामिन डी लेना बहुत जरूरी है.

6. संक्रामक रोगों से सुरक्षा के लिए विटामिन सी का सेवन करना बहुत फायदेमंद होता है. नींबू और आंवले में पर्याप्त मात्रा में विटामिन सी पाया जाता है जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को दुरुस्त रखने में मददगार होता है.