स्वास्थ्यरच्छक -- अमरूद
🌓सेब के समस्त गुण होने एवं अन्य फलों की तुलना में सस्ता होने से अमरूद गरीबों का सेब कहलाता है ।। संस्कृत में इसे अमृतफल कहा जाता है ।। हिन्दी मे अमरूद,, मराठी मे जामफल,, साउथ में पेरू कहा जाता है ।। इसकी कई प्रजातियाँ होती हैं परन्तु मुख्य रूप से गुलाबी और सफेद दो प्रकार का होता है जिसका गूदा अंदर से गुलाबी,, उसे गुलाबी और जिसका गूदा सफेद होता है उसे सफेद अमरूद कहते हैं ।।
गुण -- दोष
जठराग्नि तेज करता है ।।
रुचिकारक,, शूक्रवर्धक,, कब्जनिवारक रेचक होता है ।।
मानसिक शक्ति बढ़ाता है ।।
हृदय के लिए बलवर्धक होता है ।।
कफ निस्सारक,, उलटी एवं चक्कर दूर करता है ।।
तृषा का समन करता है ।। वात पित्त दोष नष्ट करता है ।।
शीतल होने से मानसिक विकृति दूर करता है ।। दाहनाशक होता है ।।
संग्रहणी बवासीर आँवयुक्त दस्त मे भोजन के साथ कम मात्रा में देने से लाभकारक होता है ।। प्रोटीन,, कार्बोहाइट्रेट तथा विटामिन ए,, बी,, सी तथा फास्फोरस एवं कैल्शियम आदि खनिज लवण पाए जाते हैं ।।
अमरूद सेवन का उचित समय सुबह नौ बजे,, दोपहर के भोजन के बाद होता है ।।
बीज कब्ज निवारक होते हैं ।। आँतों की सफाई का काम करते हैं ।। अधिक सेवन करने से अजीर्ण होने पर गुड़ खाने से लाभ होता है ।।
घरेलू उपचार मे उपयोग
★दाँतों का दर्द,, मसूड़ों की सूजन-- अमरुद के १५-२० मुलायम पत्ते मसलकर २१ गिलास पानी में उबालें, जब पानी आधा रह जाए तो मामूली ठंढ़ा करके ३ ग्राम सेंधा नमक एवं एक ग्राम फिटकरी डालकर दिन में ४-५ बार कुल्ला करने से ३-४ दिन में लाभ होता है!!
★गुदभ्रंश में--- १५-२० मुलायम पत्ते पीसकर गुदा पर कपड़े से बाँधने से बढ़ी हुई सूजन कम होती है तथा बाहर निकला हुआ गुदा अपने स्थान पर आ जाता है,, पत्तों का काढा बनाकर गुदा को धोने से लाभ होता है!! नियमित प्रयोग करना चाहिए!! संकोचक गुण की वजह से लाभ मिलता है!! धोते समय गुदा को अंदर की तरफ धकेलना चाहिए!!
★मुख के छालों में-- अमरूद के पत्तों पर कत्था लगाकर चबाएँ!! केवल पत्तों को चबाने से भी लाभ होता है!! पत्तों और एक ग्राम फिटकरी का काढ़ा बनाकर कुल्ला करने से लाभ होता है!!
★भाँग के नशा में-- नशा चढ़ने पर पके अमरूद खिलाना चाहिए!! अमरूद न होने पर पत्तों का रस पिलाना चाहिए!!
★हैजा की आरम्भिक अवस्था में-- छाल का या पत्तों का काढ़ा ५० ग्राम उलटी,, दस्त बंद हो जाता है!!
★आँख आने पर--- नरम पत्तों का पुल्टिस बाँधने से दर्द,, सूजन,, लालिमा ठीक होता है!!
★पागलपन में-- नियमित अमरूद खिलाना चाहिए,, काढ़ा ५०-५० ग्राम पिलाने से रोग वृद्धि रुक जाती है!! लाभ होता है!!
★बच्चों के पुराने दस्त में-- २०० ग्राम जड़ की छाल उबालें,, आधा रहने पर ,, ठंढ़ा करके ३-४ बार पिलाने से लाभ होता है!!
★हृदय रोग में-- अमरूद की चटनी लाभप्रद होती है!! बीज निकालकर चटनी बना कर सेवन करें!!
★ज्वर में--- १५-२० पत्तों को पीसकर,, छानकर पिलाने से ज्वर के उपद्रव दूर होते हैं!!
★तृषा में-- मधुमेहजन्य बहुमूत्र के रोग से उत्पन्न प्यास,, मुँह सूखने के लच्छणों में १०० ग्राम अमरूद को२०० ग्राम पानी में उबालें!! २० मिनट बाद छानकर रोगी को पिलाने से लाभ होता है!!
★पानी जैसे दस्त होने पर अमरूद का मुरब्बा सेवन करना चाहिए!!
★पित्त के बढ़ने से जलन पर अमरूद के बीज निकालकर मिश्री मिलाकर,, पीसकर सेवन करने से पित्त प्रकोप शांत होता है!!
★आधाशीशी दर्द में--
आधे सिर में दर्द होने पर सूर्योदय से पहले कच्चे ताजे अमरूद को पीसकर माथे पर लेप लगाने से कुछ दिनों में पूर्ण लाभ होता है!!
★सूखी खाँसी में-- खाली पेट अमरूद खाने से ३-४ दिनों में खाँसी दूर होगी और कफ निकल जाएगी!!
★अजीर्ण होने पर--- १५-२० कोमल पत्तों का रस निकालकर थोड़ी मिश्री मिलाकर १५ दिन तक पिलाने से लाभ होता है!
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