Wednesday, 29 November 2017

आयुर्वेद का आधार है आहार

आयुर्वेद का आधार है आहार...
आहार जीवन के तीन आधार स्तंभों में पहला है। दूसरे स्तंभ हैं शयन तथा ब्र±मचर्य।
सृष्टि के एक कोशिकीय जीव से लेकर श्रेष्ठतम रचना वाले मानव सभी अपने अनुरूप आहार लेते हैं। पौष्टिक शक्तिवर्धक तृप्ति देने वाला, पाचन शक्ति और भोजवर्धक आहार को हिताहार कहते हैं। स्वाद के लिए हम ऎसा भोजन भी कर लेते हैं जो शारीरिक, आर्थिक और मानसिक रुप से क्षति पहुचाता है।

घी खाना नहीं है वर्जित...
हिताहार भी सीमित मात्रा में हो और शाकप्रधान नहीं हो। शाक पत्र शाक पालक आदि कहलाता है। भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में लिखा है- रम्या: स्निग्धा स्थिराद्धा आहारा: सात्विक प्रिया।

आज के कर्महीन जीवन में डॉक्टर वसा सेवन को प्रतिबंधित करते हैं पर अगर मानव शारीरिक श्रम, भ्रमण, करता रहे तो घी का सेवन अनुकूल है। आराम तलब मशीनी जीवन मोटापा बढ़ाता है। भोजन का कार्य रस रक्त से ओज की वृद्धि, शरीर का विकास, क्षतिपूर्ति, शरीर की उष्णता व बल बनाए रखना और जीवन शक्ति को स्थिर बनाए रखना है।

शाकाहार...
शाकाहार में भोजन द्रव्यों को चार भागों में बांटा जाता है-

1 शरीर का विकास व क्षतिपूर्तिकारक जैसे-दूध, दही, पनीर आदि।
2 उष्माप्रदायक व रक्षक- अन्न, आलू, चीनी।
3 शक्तिदाता व संग्रहकर्ता- घी, तेल, मक्खन, सूखे मेवे, वसा, मज्जा आदि।
4 भोजन के पाचन में सहयोगी- जल व पेय पदार्थ, खनिज, लवण, पाचक रस, और विटामिन्स।

विदेशी आक्रमणों, ने नौ सौ वर्ष तक की गुलामी तथा स्वतंत्रता से अब तक की विदेशों की नकल व बेकार खाद्य नीति के कारण भारत विश्व के सर्वाधिक कुपोषित देशों में से एक है। भारतीय अपने भोजन में अन्न के रूप में गेहूं, चावल, मक्का, बाजरा, जौ, रागी, आदि उयोग करते हैं। हम इनकी मैदा बनाकर या मिलों से कूटपॉलिश कर इनके पोषक तत्वों को नष्ट कर देते हैं।

अन्न का दूसरा वर्ग दालें हैं। चना, अरहर, मूंग, मोठ, मसूर, उड़द, सोयबीन, मटर, चना, कुलथी तथा प्रतिबंधित खेसारी दालें हैं। दालें शाकाहारियों के प्रोटीन का प्रमुख स्त्रोत है। इनके साथ तिलहन प्रमुख रूप से तेल का स्त्रोत हैं। तिल, सरसों, नारियल, अखरोट, मूंगफली, सोयाबीन, अलसी, राई, बादाम, पिस्ता, काजू,
अखरोट, जैतून आदि प्रमुख भोजन अवयव हैं।

फलों, शाकों तथा सब्जियों कंदशाक की अत्यंत विशाल श्रृंखला हमारा आहार है। इनसे शरीर के स्थायित्व तथा स्वास्थ्य रक्षा के आवश्यक तत्व प्रोटीन, कार्ब्स, फैट, सॉल्ट, और विटामिन्स शरीर को मिलते हैं।

बारीक चीजें हैं ...
प्रकृति ने भारतीय फसलों में कुछ अद्वितीय गुणों से संपन्न रत्न प्रदान किए हैं जैसे- आंवला, अदरक, लहसुन, नीबू, अनार, अंगूर, कद्दू, सभी मसाले, बादाम, अखरोट, हरड़। कुछ भोजन के काम नहीं आते जैसे नीम।

विश्व की सभी स्वास्थ्य परंपराएं बारीक पीसे, काटे, कुचले गए आहार पदाथों को अनुपयोगी मानती है इसलिए दैनिक जीवन में सर्वाधिक प्रयुक्त होने के बावजूद बारीक आटा, बारीक कुटे चावल, भिगोकर पीसी दालों को हेय मानते हैं। कार्तिक में पैदा हुआ लालिमायुक्त चावल श्रेष्ठ है। खेत से एक अंकुर रूप में उत्पन्न होने वाले अन्न में सर्वोत्तम एक वर्ष पुराना लाल गेंहू है। चावल भी पुराने अच्छे होते हैं।

मूंग की बिना धुली दाल, दूध में जीवित वसा भारतीय नस्ल की गाय का दूध-घी, ताजा मक्खन, तिल्ली का तेल, सेंधा नमक, अंगूर, फल, अनार, सब्जियों में परवल, कंद द्रव्यों में आलू, मूली, चुकंदर, रस में शहद, गन्ना, मिश्री, आंवला, बड़ी हरड़, हींग, लहसुन अपने-अपने वर्ग में श्रेष्ठ हैं।

बेमेल जोड़ी...
दूध के साथ सभी तरल, ठोस, खट्टे आहार कांगनी, कुलथी, मोठ तथा बींस न खाएं। हरी मूली, लहसुन पत्तेदार, सभी तरह के नमक, बराबर मात्रा में घी व शहद, कांजी में डूबी तिल की कचौरी, मूली के साथ उड़द, मक्खन, गुड़, शहद और घी अंकुरित अन्न के साथ दही, केले के साथ कालीमिर्च व पीपल आदि का सेवन न करें।

बारिश में खान-पान...
सावन-भादो में खिचड़ी, गेहूं का दलिया, लापसी, आटे का हलवा, रोटी, उड़द-चौले के अलावा दूसरी दालें, सूखी सब्जियां जैसे मंगोड़ी, बड़ी, पंचकुटा, कैर-सांगरी, ऊंचे पेड़ों पर उगे फल- आम, जामुन, बेल, आंवला, मसालों में सेंधा नमक, अमचूर, इमली, सौंफ, जीरा, हींग सौंठ गर्म मसाले, नीबू हरी मिर्च, केला, दही, छाछ लें। चाय में सौंठ काली मिर्च तुलसी का सेवन करें। थोड़ी मात्रा में अचार, नीबू आदि लें।

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