Thursday, 30 November 2017

बच्चों में सर्दी और खांसी के घरेलु उपचार

*👨🏻👉🏿बच्चों में सर्दी और खांसी के घरेलु उपचार👈🏿👩🏻*

*🌺 हमारे देश में हर तीन महीने पर मौसम बदल जाता है। इस बदलते हुए मौसम में हमारे नाज़ुक से बच्चे कई बीमारियों के चपेट में आ जाते हैं। कहीं आपके बच्चे को भी मौसम की मार ने आहत तो नहीं कर दिया है ? आपका बच्चा यदि सर्दी - जुकाम से परेशान है, उसकी तबियत अनमनी है, तो घबराइए नहीं। हर साल बहुत सारे बच्चे कमजोर होने की वजह से सर्दी खाँसी का शिकार होते हैं। नवजात बच्चे तो अपने जीवन के पहले साल ही लगभग 7 बार सर्दी खाँसी के शिकार होते हैं। ऐसे में घरेलू उपचार बच्चों को सर्दी- खाँसी में राहत पहुँचा सकते हैं।*

*👩🏻👉🏿 सर्दी - जुकाम और खाँसी (cold cough and sore throat) को दूर करने के लिए कुछ आसान से घरेलू उपचार (home remedy) दिये जा रहे हैं, जिसकी सहायता से आपके बच्चे को सर्दियों में काफी आराम मिलेगा।*

🌺1⃣👉🏿 एक कप सरसो के तेल में अजवाइन और लहसुन की दस कलियां लेकर उसे पकाए, थोड़ा ठंडा होने पर उससे बच्चे की मालिश करे। सरसों के तेल, लहसुन और अजवाइन में कीटाणु-रोधक और विषाणु-रोधक गुण होते हैं। यह आपके बच्चे को काफी मात्रा में आराम प्रदान करने में सहायता करता है।

🌺2⃣👉🏿 सहजन की कोमल हरी पत्तियों को तोड़ें। एक मोटी पेनी वाली कढ़ाई में १/२ कप नारियल तेल गर्म करें और उसमें मुट्ठीभर सहजन की पत्तियां डालें। पत्ते सूख जाने के बाद, आप कढ़ाई को आंच से हटा सकती हैं। सर्दी, खांसी और कफ जमा होने पर इस तेल को अपने बच्चे के बालों के तेल के रूप में प्रयोग करें। 

🌺3⃣👉🏿 बच्चे को मौसम के अनुसार कपड़े पहनाएं। उसे गर्म रखने के लिए एक के ऊपर एक कपड़े पहनाएं। बच्चों का शरीर बड़ों की तुलना में अपना तापमान नियंत्रित करने में सक्षम नहीं होता है। इसीलिए बच्चों को बड़ों की तुलना में एक लेयर एक्स्ट्रा कपडे पहनने की आवश्यकता होती है। इससे बच्चे ठण्ड से बचे रहेंगे। लेकिन अगर थोड़ी गर्मी हो जाये तो बच्चे आसानी से कपड़ों के एक लेयर को उतार के कम कर सकते हैं ।

🌺4⃣👉🏿 बच्चे को सर पे ऐसी टोपी पहना के रखें जिससे की उसके कानो में ठंडी हवा ना घुसे। एक बात जो बच्चे नहीं बता पाते हैं वो यह है की ठण्ड की वजह से उनके कानो में बहुत दर्द होता है। शिशु के लिए एक बेहतरीन टोपी का उदहारण इस प्रकार की टोपी शिशु को ठण्ड, सर्दी और जुकाम के हर खतरे से बचाती है। 

🌺5⃣👉🏿 बच्चे को संक्रमण से बचाने के लिये अपना और बच्चे का हाथ साफ रखे। बच्चे को कुछ खिलाने से पहले हैण्ड वाश करे।
🌺6⃣👉🏿 सोते हुए बच्चे का सिर ऊपर रखे, जिससे वह आसानी से साँस ले सके।
🌺7⃣👉🏿 बच्चों के सर्दी-खांसी में अजवाइन का काढ़ा पिलायें।
🌺8⃣👉🏿 सर्दी-खांसी के दौरान सूप बहुत आरामदायक भोजन होता है। आप सब्जियों का गर्म सूप दे सकती हैं।
🌺9⃣👉🏿 आधी कटोरी देसी गाय घी में एक गांठ अदरक पीस कर उसमें २५ ग्राम गुड़ डालकर पकालें। ठंडा होने पर थोड़ा - थोड़ा बच्चे को खिलाये। यह खाँसी की अचूक दवा है।
🌺🔟👉🏿 बच्चे को गर्म पानी में गुड़, जीरा और काली मिर्च का मिश्रण दे। सर्दी, खांसी और गले में खराश होने पर यह मिश्रण असरदार होता है।
🌺1⃣1⃣👉🏿 जीरे और मिश्री दोनों को महीन पाउडर में पीस लें। जब भी आपके बच्चे को खांसी आती है तो उसे यह मिश्रण दें।
🌺1⃣2⃣👉🏿 लहसुन की एक छोटी कली लें, इसे पीसें, और थोड़ा पुराना गुड मिलाकर पेस्ट बनाएं। दिन में एक या दो बार इसे दें।
🌺1⃣3⃣👉🏿 नींबू के रस, दालचीनी पाउडर और गुड पुराना का मिश्रण तैयार करें। यह सर्दी और खांसी के वायरस से लड़ने के लिए बहुत अच्छा होता है।
🌺1⃣4⃣👉🏿 आँवला धुल कर उबाल ले, उसका बीज निकाल कर फेंक दें। आँवले को पीस कर, कड़ाही में थोड़ा सा देसी घी डालकर हलुवा की तरह पकाले। उसमें उसी मात्रा में गुड़ भी डाले। थोड़ा ड्राई फ्रूट डाल कर उसे तैयार कर ले और उसे अपने बच्चे को एक - एक चम्मच रोज खिलाएं।

Wednesday, 29 November 2017

आयुर्वेद का आधार है आहार

आयुर्वेद का आधार है आहार...
आहार जीवन के तीन आधार स्तंभों में पहला है। दूसरे स्तंभ हैं शयन तथा ब्र±मचर्य।
सृष्टि के एक कोशिकीय जीव से लेकर श्रेष्ठतम रचना वाले मानव सभी अपने अनुरूप आहार लेते हैं। पौष्टिक शक्तिवर्धक तृप्ति देने वाला, पाचन शक्ति और भोजवर्धक आहार को हिताहार कहते हैं। स्वाद के लिए हम ऎसा भोजन भी कर लेते हैं जो शारीरिक, आर्थिक और मानसिक रुप से क्षति पहुचाता है।

घी खाना नहीं है वर्जित...
हिताहार भी सीमित मात्रा में हो और शाकप्रधान नहीं हो। शाक पत्र शाक पालक आदि कहलाता है। भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में लिखा है- रम्या: स्निग्धा स्थिराद्धा आहारा: सात्विक प्रिया।

आज के कर्महीन जीवन में डॉक्टर वसा सेवन को प्रतिबंधित करते हैं पर अगर मानव शारीरिक श्रम, भ्रमण, करता रहे तो घी का सेवन अनुकूल है। आराम तलब मशीनी जीवन मोटापा बढ़ाता है। भोजन का कार्य रस रक्त से ओज की वृद्धि, शरीर का विकास, क्षतिपूर्ति, शरीर की उष्णता व बल बनाए रखना और जीवन शक्ति को स्थिर बनाए रखना है।

शाकाहार...
शाकाहार में भोजन द्रव्यों को चार भागों में बांटा जाता है-

1 शरीर का विकास व क्षतिपूर्तिकारक जैसे-दूध, दही, पनीर आदि।
2 उष्माप्रदायक व रक्षक- अन्न, आलू, चीनी।
3 शक्तिदाता व संग्रहकर्ता- घी, तेल, मक्खन, सूखे मेवे, वसा, मज्जा आदि।
4 भोजन के पाचन में सहयोगी- जल व पेय पदार्थ, खनिज, लवण, पाचक रस, और विटामिन्स।

विदेशी आक्रमणों, ने नौ सौ वर्ष तक की गुलामी तथा स्वतंत्रता से अब तक की विदेशों की नकल व बेकार खाद्य नीति के कारण भारत विश्व के सर्वाधिक कुपोषित देशों में से एक है। भारतीय अपने भोजन में अन्न के रूप में गेहूं, चावल, मक्का, बाजरा, जौ, रागी, आदि उयोग करते हैं। हम इनकी मैदा बनाकर या मिलों से कूटपॉलिश कर इनके पोषक तत्वों को नष्ट कर देते हैं।

अन्न का दूसरा वर्ग दालें हैं। चना, अरहर, मूंग, मोठ, मसूर, उड़द, सोयबीन, मटर, चना, कुलथी तथा प्रतिबंधित खेसारी दालें हैं। दालें शाकाहारियों के प्रोटीन का प्रमुख स्त्रोत है। इनके साथ तिलहन प्रमुख रूप से तेल का स्त्रोत हैं। तिल, सरसों, नारियल, अखरोट, मूंगफली, सोयाबीन, अलसी, राई, बादाम, पिस्ता, काजू,
अखरोट, जैतून आदि प्रमुख भोजन अवयव हैं।

फलों, शाकों तथा सब्जियों कंदशाक की अत्यंत विशाल श्रृंखला हमारा आहार है। इनसे शरीर के स्थायित्व तथा स्वास्थ्य रक्षा के आवश्यक तत्व प्रोटीन, कार्ब्स, फैट, सॉल्ट, और विटामिन्स शरीर को मिलते हैं।

बारीक चीजें हैं ...
प्रकृति ने भारतीय फसलों में कुछ अद्वितीय गुणों से संपन्न रत्न प्रदान किए हैं जैसे- आंवला, अदरक, लहसुन, नीबू, अनार, अंगूर, कद्दू, सभी मसाले, बादाम, अखरोट, हरड़। कुछ भोजन के काम नहीं आते जैसे नीम।

विश्व की सभी स्वास्थ्य परंपराएं बारीक पीसे, काटे, कुचले गए आहार पदाथों को अनुपयोगी मानती है इसलिए दैनिक जीवन में सर्वाधिक प्रयुक्त होने के बावजूद बारीक आटा, बारीक कुटे चावल, भिगोकर पीसी दालों को हेय मानते हैं। कार्तिक में पैदा हुआ लालिमायुक्त चावल श्रेष्ठ है। खेत से एक अंकुर रूप में उत्पन्न होने वाले अन्न में सर्वोत्तम एक वर्ष पुराना लाल गेंहू है। चावल भी पुराने अच्छे होते हैं।

मूंग की बिना धुली दाल, दूध में जीवित वसा भारतीय नस्ल की गाय का दूध-घी, ताजा मक्खन, तिल्ली का तेल, सेंधा नमक, अंगूर, फल, अनार, सब्जियों में परवल, कंद द्रव्यों में आलू, मूली, चुकंदर, रस में शहद, गन्ना, मिश्री, आंवला, बड़ी हरड़, हींग, लहसुन अपने-अपने वर्ग में श्रेष्ठ हैं।

बेमेल जोड़ी...
दूध के साथ सभी तरल, ठोस, खट्टे आहार कांगनी, कुलथी, मोठ तथा बींस न खाएं। हरी मूली, लहसुन पत्तेदार, सभी तरह के नमक, बराबर मात्रा में घी व शहद, कांजी में डूबी तिल की कचौरी, मूली के साथ उड़द, मक्खन, गुड़, शहद और घी अंकुरित अन्न के साथ दही, केले के साथ कालीमिर्च व पीपल आदि का सेवन न करें।

बारिश में खान-पान...
सावन-भादो में खिचड़ी, गेहूं का दलिया, लापसी, आटे का हलवा, रोटी, उड़द-चौले के अलावा दूसरी दालें, सूखी सब्जियां जैसे मंगोड़ी, बड़ी, पंचकुटा, कैर-सांगरी, ऊंचे पेड़ों पर उगे फल- आम, जामुन, बेल, आंवला, मसालों में सेंधा नमक, अमचूर, इमली, सौंफ, जीरा, हींग सौंठ गर्म मसाले, नीबू हरी मिर्च, केला, दही, छाछ लें। चाय में सौंठ काली मिर्च तुलसी का सेवन करें। थोड़ी मात्रा में अचार, नीबू आदि लें।

Monday, 27 November 2017

गुस्सा दूर करने के उपाय

गुस्सा दूर करने के उपाय

इस पृथ्वी पर शायद ही कोई प्राणी होगा जिसे गुस्सा नहीं आता, जब भी कुछ हमारे मन मुताबिक नहीं होता, तब जो प्रतिक्रिया हमारा मन करता है, वही गुस्सा कहलाता है। वास्तव में "जब हम गुस्सा करते हैं तब हम किसी दूसरे की गलती की सजा खुद अपने को देते हैं।" जब किसी दिन हम मानसिक रूप से परेशान होते हैं, जीवन में किसी चीज या स्थिति से असंतुष्ट होते है, किसी बात पर हमारे दिल को ठेस लगती है, जब हम निराश-हताश हो जाते है तब हम मानसिक रूप से ज्यादा बेचैन हो जाते है उस दिन हमें गुस्सा अधिक आता है और छोटी-छोटी बातों पर अधिक तीखी और त्वरित प्रतिक्रिया देते हैं।

वास्तव में गुस्सा एक भयानक तूफ़ान जैसा है, जो जाने के बाद पीछे अपनी बर्बादी का निशान छो़ड जाता हैं। गुस्से में सबसे पहले दिमाग फिर जबान अपना आपा खोती है, वह वो सब कहती है, जो नहीं कहना चाहिए और रिश्तों में जबरदस्त क़डवाहट आ जाती है। और तब तो और भी मुश्किल होती है जब गुस्सा हमारे दिमाग में घर कर जाता है और हमारे अन्दर बदला लेने की सामने वाले को नुकसान पहुँचाने की भावना प्रबल हो जाती है ।

कुछ ऐसे उपाय जिससे हम यथासंभव अपने गुस्से पर काबू कर सकते है ।

* दो पके मीठे सेब बिना छीले प्रातः खाली पेट चबा-चबाकर पन्द्रह दिन लगातार खाने से गुस्सा शान्त होता है। बर्तन फैंकने वाला, तोड़ फोड़ करने वाला और पत्नि और बच्चों पर हाथ उठाने वाला व्यक्ति भी अपने क्रोध से मुक्ति पा सकेगा। इसके सेवन से दिमाग की कमजोरी दूर होती है और स्मरण शक्ति भी बढ़ जाती है।

* प्रतिदिन प्रातः काल आंवले का एक पीस मुरब्बा खायें और शाम को एक चम्मच गुलकंद खाकर ऊपर से दुध पी लें। बहुत क्रोध आना शीघ्र ही बन्द होगा।

* गुस्सा आने पर दो तीन गिलास खूब ठंडा पानी धीरे धीरे घूँट घूँट लेकर पिएं । पानी हमारेशारीरिक तनाव को कम करके क्रोध शांत करने में मददगार होता है।

* गुस्सा बहुत आता हो तो धरती माता को रोज सुबह उठकर हाथ से पाँच बार छूकर प्रणाम करें और सबसे विशाल ह्रदय धरती माँ से अपने गुस्से पर काबू करने और सहनशील होने का वरदान मागें।

* पलाश के छोटे छोटे पत्तों की सब्जी खाने से गुस्सा, और पित्त जल्दी ही शांत होता है ।

* रविवार को अदरक, टमाटर और लाल रंग के कपड़े गुस्सा अधिक बढ़ाते हैं अत: इनका कम से कम प्रयोग करें ।

* जिनको गुस्सा बहुत आता हो, बात- बात में चिड जाते हो वे सोमवार का उपवास करें, या एक समय भोजन करें। रात कों चन्द्रमा कों अर्घ दें तथा अपने गुस्से पर विजय प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करें । इससे भी मन शान्त रहता है, गुस्से पर नियंत्रण रहता है।

* बहुत अधिक खट्टी, तीखी, मसालेदार चीजें खाने से आँखें जलती हैं, स्वभाव में चिड़चिड़ापन आता है, शीघ्र गुस्सा आता है, अकारण ही सीने और पेट में जलन होती है अत: इन चीजों का बिलकुल त्याग कर देना चाहिए ।

* जिन्हे ज्यादा गुस्सा आता हो उन्हें चाय, काफी, मदिरा से परहेज करना चाहिए ये शरीर को उत्तेजित करते है उसके स्थान पर छाछ, मीठा दूध या नींबू पानी का प्रयोग करना चाहिए ।

* यदि गुस्सा आने वाला हो तो 5-6 बार गहरी गहरी साँस लीजिए, कुछ पलों के लिए अपनी आँखे बंद करके ईश्वर का ध्यान करें उन्हें प्रणाम करें उनसे अपना कोई भी निवेदन करें। यह गुस्सा कम करने का सबसे बढ़िया तरीका है। इससे आप भड़कने से पहले ही निश्चित रूप से शांत हो जाएँगे।

* जिस स्त्री का पति हर समय बिना बात के ही गुस्सा करता रहता है तो वह स्त्री शुक्ल पक्ष के प्रथम रविवार, सोमवार, गुरुवार या शुक्रवार किसी भी दिन एक नए सफेद कपड़े में एक डली गुड़, चांदी एवं तांबे के दो सिक्के, एक मुट्ठी नमक व गेहूं को बांधकर अपने शयनकक्ष में कहीं ऐसी जगह छिपा कर रख दें जहाँ पति को पता न चले । इसके प्रभाव से भी पति का गुस्सा धीरे-धीरे कम होने लगेगा।

* समान्यता गुस्सा सामने वाले से ज्यादा उम्मीदें पालने से आता है । इसलिए कभी भी सामने वाले से बहुत ज्यादा उम्मीदें ना पालें जिससे आपकी बात ना मानने पर भी आपका दिल बिलकुल ना दुखे ।

Sunday, 26 November 2017

स्वस्थ रहने के १५ नियम

स्वस्थ रहने के १५ नियम

१- खाना खाने के १.०० घंटे बाद पानी पीना है

२- पानी घूँट घूँट करके पीना है जिस से अपनी मुँह की लार पानी के साथ मिलकर पेट में जा सके , पेट में acid बनता है और मुँह में छार ,दोनो पेट में बराबर मिल जाए तो कोई रोग पास नहीं आएगा

३- पानी कभी भी ठंडा ( फ़्रीज़ का  )नहीं पीना  है।

४- सुबह उठते ही बिना क़ुल्ला किए २ ग्लास पानी पीना है ,रात भर जो अपने मुँह में लार है वो अमूल्य है उसको पेट में ही जाना ही  चाहिए ।

५- खाना ,जितने आपके मुँह में दाँत है उतनी बार ही चबाना  है ।

६ -खाना ज़मीन में पलोथी मुद्रा या उखड़ूँ बैठकर ही भोजन करे ।

७ -खाने के मेन्यू में एक दूसरे के विरोधी भोजन एक साथ ना करे जैसे दूध के साथ दही , प्याज़ के साथ दूध , दही के साथ उड़द दल

८ -समुद्री नमक की जगह सेंध्या नमक या काला नमक खाना चाहिए

९-रीफ़ाइन तेल , डालडा ज़हर है इसकी जगह अपने इलाक़े के अनुसार सरसों , तिल , मूँगफली , नारियल का तेल उपयोग में लाए । सोयाबीन के कोई भी प्रोडक्ट खाने में ना ले इसके प्रोडक्ट को केवल सुअर पचा सकते है , आदमी में इसके पचाने के एंज़िम कम बनते है ।

१०- दोपहर के भोजन के बाद कम से कम ३० मिनट आराम करना चाहिए और शाम के भोजन बाद ५०० क़दम पैदल चलना चाहिए

११- घर में चीनी (शुगर )का उपयोग नहीं होना चाहिए क्योंकि चीनी को सफ़ेद करने में १७ तरह के ज़हर ( केमिकल )मिलाने पड़ते है इसकी जगह गुड़ का उपयोग करना चाहिए और आजकल गुड बनाने में कॉस्टिक सोडा ( ज़हर ) मिलाकर गुड को सफ़ेद किया जाता है इसलिए सफ़ेद गुड ना खाए । प्राकृतिक गुड ही खाये । और प्राकृतिक गुड चोकलेट कलर का होता है। ।

१२ - सोते समय आपका सिर पूर्व या दक्षिण की तरफ़ होना चाहिए  ।   

१३- घर में कोई भी एलूमिनियम के बर्तन , कुकर नहीं होना चाहिए । हमारे बर्तन मिट्टी , पीतल लोहा , काँसा के होने चाहिए

१४ -दोपहर का भोजन ११ बजे तक एवं शाम का भोजन सूर्यास्त से पहले हो जाना चाहिए  

१५ सुबह भोर के समय तक आपको देशी गाय के दूध से बनी छाछ (सेंध्या नमक और ज़ीरा बिना भुना हुआ मिलाकर  ) पीना चाहिए ।     यदि आपने ये नियम अपने जीवन में लागू कर लिए तो आपको डॉक्टर के पास जाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी और देश के ८ लाख करोड़ की बचत होगी । यदि आप बीमार है तो ये नियमों का पालन करने से आपके शरीर के सभी रोग ( BP , शुगर ) अगले ३ माह से लेकर १२ माह में ख़त्म हो जाएँगे  ।

Friday, 24 November 2017

ब्लडप्रेशर के लिए आयुर्वेद आहार

ब्लडप्रेशर के लिए आयुर्वेद आहार

उच्च रक्तचाप के रोगी को ज्यादा मात्रा में भोजन नहीं करना चाहिए, साथ ही गरिष्ठ भोजन से भी परहेज करना चाहिए।

भोजन में फलों और सब्जियों के सेवन ज्यादा करना चाहिए।

लहसुन, प्याज, साबुत अन्न, सोयाबीन का सेवन करना चाहिए।

भोजन में पोटेशियम की मात्रा ज्यादा हो और सोडियम की मात्रा कम होनी चाहिए।

नमक का सेवन कम करना चाहिए।

डेयरी उत्पादों, चीनी, रिपफाइन्ड खाद्य पदार्थों, तली-भुनी चीजों, कैफीन और जंक फूड से नाता नहीं रखना चाहिए।

दिन में कम से कम 10-12 गिलास पानी अवश्य पीना चाहिए।

कम मात्रा में बाजरा, गेहूं का आटा, ज्वार, मूंग साबुत तथा अंकुरित दालों का सेवन करना चाहिए।

पालक, गोभी, बथुआ जैसी हरी सब्जियों का सेवन करना चाहिए।

सब्जियों में लौकी, नींबू, तोरई, पुदीना, परवल, सहिजना, कद्दू, टिण्डा, करेला आदि का सेवन करना चाहिए।

अजवायन, मुनक्का व अदरक का सेवन रोगी को फायदा पहुंचाता है।

फलों में मौसमी, अंगूर, अनार, पपीता, सेब, संतरा, अमरूद, अन्नानास आदि सेवन कर सकते हैं।

बादाम बिना मलाई का दूध, छाछ सोयाबीन का तेल, गाय का घी,गुड़, चीनी, शहद, मुरब्बा आदि का सेवन कर सकते हैं।

Thursday, 16 November 2017

Health

आंवला*
किसी भी रूप में थोड़ा सा
आंवला हर रोज़ खाते रहे,
जीवन भर उच्च रक्तचाप
और हार्ट फेल नहीं होगा।
👉 *मेथी*
मेथीदाना पीसकर रख ले।
एक चम्मच एक गिलास
पानी में उबाल कर नित्य पिए।
मीठा, नमक कुछ भी नहीं डाले।
इस से आंव नहीं बनेगी,
शुगर कंट्रोल रहेगी और
जोड़ो के दर्द नहीं होंगे
और पेट ठीक रहेगा।
👉 *नेत्र स्नान*
मुंह में पानी का कुल्ला भर कर
नेत्र धोये।
ऐसा दिन में तीन बार करे।
जब भी पानी के पास जाए
मुंह में पानी का कुल्ला भर ले
और नेत्रों पर पानी के छींटे मारे, धोये।
मुंह का पानी एक मिनट बाद
निकाल कर पुन: कुल्ला भर ले।
मुंह का पानी गर्म ना हो इसलिए
बार बार कुल्ला नया भरते रहे।
भोजन करने के बाद गीले हाथ
तौलिये से नहीं पोंछे।
आपस में दोनों हाथो को रगड़ कर
चेहरा व कानो तक मले।
इससे आरोग्य शक्ति बढ़ती हैं।
नेत्र ज्योति ठीक रहती हैं।
👉 *शौच*
ऐसी आदत डाले के नित्य
शौच जाते समय दाँतो को
आपस में भींच कर रखे।
इस से दांत मज़बूत रहेंगे,
तथा लकवा नहीं होगा।
👉 *छाछ*
तेज और ओज बढ़ने के लिए
छाछ का निरंतर सेवन
बहुत हितकर हैं।
सुबह और दोपहर के भोजन में
नित्य छाछ का सेवन करे।
भोजन में पानी के स्थान पर
छाछ का उपयोग बहुत हितकर हैं।
👉 *सरसों तेल*
सर्दियों में हल्का गर्म सरसों तेल
और गर्मियों में ठंडा सरसों तेल
तीन बूँद दोनों कान में
कभी कभी डालते रहे।
इस से कान स्वस्थ रहेंगे।
👉 *निद्रा*
दिन में जब भी विश्राम करे तो
दाहिनी करवट ले कर सोएं। और
रात में बायीं करवट ले कर सोये।
दाहिनी करवट लेने से बायां स्वर
अर्थात चन्द्र नाड़ी चलेगी, और
बायीं करवट लेने से दाहिना स्वर
अर्थात सूर्य स्वर चलेगा।
👉 *ताम्बे का पानी*
रात को ताम्बे के बर्तन में
रखा पानी सुबह उठते बिना
कुल्ला किये ही पिए,
निरंतर ऐसा करने से आप
कई रोगो से बचे रहेंगे।
ताम्बे के बर्तन में रखा जल
गंगा जल से भी अधिक
शक्तिशाली माना गया हैं।
👉 *सौंठ*
सामान्य बुखार, फ्लू, जुकाम
और कफ से बचने के लिए
पीसी हुयी आधा चम्मच सौंठ
और ज़रा सा गुड एक गिलास पानी में
इतना उबाले के आधा पानी रह जाए।
रात को सोने से पहले यह पिए।
बदलते मौसम, सर्दी व वर्षा के
आरम्भ में यह पीना रोगो से बचाता हैं।
सौंठ नहीं हो तो अदरक का
इस्तेमाल कीजिये।
👉 *टाइफाइड*
चुटकी भर दालचीनी की फंकी
चाहे अकेले ही चाहे शहद के साथ
दिन में दो बार लेने से
टाइफाईड नहीं होता I
👉 *नाक*
रात को सोते समय नित्य
सरसों का तेल नाक में लगाये।
हर तीसरे दिन दो कली लहसुन
रात को भोजन के साथ ले।
प्रात: दस तुलसी के पत्ते और
पांच काली मिर्च नित्य चबाये।
सर्दी, बुखार, श्वांस रोग नहीं होगा।
नाक स्वस्थ रहेगी।
👉 *मालिश*
स्नान करने से आधा घंटा पहले
सर के ऊपरी हिस्से में
सरसों के तेल से मालिश करे।
इस से सर हल्का रहेगा,
मस्तिष्क ताज़ा रहेगा।
रात को सोने से पहले
पैर के तलवो, नाभि,
कान के पीछे और
गर्दन पर सरसों के तेल की
मालिश कर के सोएं।
निद्रा अच्छी आएगी,
मानसिक तनाव दूर होगा।
त्वचा मुलायम रहेगी।
सप्ताह में एक दिन पूरे शरीर में
मालिश ज़रूर करे।
👉 *योग और प्राणायाम*
नित्य कम से कम आधा घंटा
योग और प्राणायाम का
अभ्यास ज़रूर करे।
👉 *हरड़*
हर रोज़ एक छोटी हरड़
भोजन के बाद दाँतो तले रखे
और इसका रस धीरे धीरे
पेट में जाने दे।
जब काफी देर बाद ये हरड़
बिलकुल नरम पड़ जाए
तो चबा चबा कर निगल ले।
इस से आपके बाल कभी
सफ़ेद नहीं होंगे,
दांत 100 वर्ष तक निरोगी रहेंगे
और पेट के रोग नहीं होंगे।
👉 *सुबह की सैर*
सुबह सूर्य निकलने से पहले
पार्क या हरियाली वाली जगह पर
सैर करना सम्पूर्ण स्वस्थ्य के लिए
बहुत लाभदायक हैं।
इस समय हवा में प्राणवायु का
बहुत संचार रहता हैं।
जिसके सेवन से हमारा पूरा शरीर
रोग मुक्त रहता हैं और हमारी
रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती हैं।
👉 घी खाये मांस बढ़े,
अलसी खाये खोपड़ी,
दूध पिये शक्ति बढ़े,
भुला दे सबकी हेकड़ी।
👉तेल तड़का छोड़ कर
नित घूमन को जाय,
मधुमेह का नाश हो
जो जन अलसी खाय ।।

Tuesday, 14 November 2017

तांबे के बर्तन से पानी पीने के  स्वास्थ्य लाभ...

तांबे के बर्तन से पानी पीने के  स्वास्थ्य लाभ...
हम में से ज्यादातर लोगों ने अपने दादा-दादी से तांबे के बर्तन में संग्रहीत पानी पीने के स्वास्थ्य लाभों के बारे में सुना होगा। कुछ लोग तो पानी पीने के लिए विशेष रूप से तांबे से बने गिलास और जग का उपयोग करते हैं। लेकिन क्‍या इस धारणा के पीछे वास्‍तव में कोई वैज्ञानिक समर्थन है? या यह एक मिथक है बस? तो आइए तांबे के बर्तन में पानी पीने के बेहतरीन कारणों को जाने
1 . तांबे के बर्तन में पानी पीना अच्छा क्यों है?
आयुर्वेद के अनुसार, तांबे के बर्तन में संग्रहीत पानी में आपके शरीर में तीन दोषों (वात, पित्त और कफ) को संतुलित करने की क्षमता होती है और यह ऐसा सकारात्मक पानी चार्ज करके करता है। तांबे के बर्तन में जमा पानी 'तामृ जल' के रूप में भी जाना जाता है और तांबे के बर्तन में कम से कम 8 घंटे तक रखा हुआ पानी ही लाभकारी होता है।
2. जब पानी तांबे के बर्तन में संग्रहित किया जाता है तब तांबा धीरे से पानी में मिलकर उसे सकारात्‍मक गुण प्रदान करता है। इस पानी के बारे में सबसे अच्‍छी बात यह है कि यह कभी भी बासी (बेस्‍वाद) नहीं होता और इसे लंबी अवधि तक संग्रहित किया जा सकता है।
3. बैक्‍टीरिया समाप्‍त करने में मददगार
तांबे को प्रकृति में ओलीगोडिनेमिक के रूप में (बैक्‍टीरिया पर धातुओं की स्‍टरलाइज प्रभाव) जाना जाता है और इसमें रखे पानी के सेवन से बैक्‍टीरिया को आसानी से नष्‍ट किया जा सकता है। तांबा आम जल जनित रोग जैसे डायरिया, दस्‍त और पीलिया को रोकने में मददगार माना जाता है। जिन देशों में अच्‍छी स्‍वच्‍छता प्रणाली नहीं है उन देशों में तांबा पानी की सफाई के लिए सबसे सस्‍ते समाधान के रूप में पेश आता है।
4. थायरॉयड ग्रंथि की कार्यप्रणाली पर नियंत्रण...
थायरेक्सीन हार्मोन के असंतुलन के कारण थायराइड की बीमारी होती है। थायराइड के प्रमुख लक्षणों में तेजी से वजन घटना या बढ़ना, अधिक थकान महसूस होना आदि हैं। कॉपर थायरॉयड ग्रंथि के बेहतर कार्य करने की जरूरत का पता लगाने वाले सबसे महत्‍वपूर्ण मिनरलों में से एक है। थायराइड विशेषज्ञों के अनुसार, कि तांबे के बर्तन में रखें पानी को पीने से शरीर में थायरेक्सीन हार्मोन नियंत्रित होकर इस ग्रंथि की कार्यप्रणाली को भी नियंत्रित करता है।
5. मस्तिष्क को उत्तेजित करता है
तांबे में मस्तिष्‍क को उत्तेजित करने वाले और विरोधी ऐंठन गुण होते हैं। इन गुणों की मौजूदगी मस्तिष्‍क के काम को तेजी और अधिक कुशलता के साथ करने में मदद करते है।
6. गठिया में फायदेमंद
गठिया या जोड़ों में दर्द की समस्‍या आजकल कम उम्र के लोगों में भी होने लगी है। यदि आप भी इस समस्या से परेशान हैं, तो रोज तांबे के पात्र का पानी पीये। तांबे में एंटी-इफ्लेमेटरी गुण होते हैं। यह गुण दर्द से राहत और दर्द की वजह से जोड़ों में सूजन का कारण बने - गठिया और रुमेटी गठिया के मामले विशेष रूप से फायदेमंद होते है।
7. त्‍वचा को बनाये स्वस्थ
त्‍वचा पर सबसे अधिक प्रभाव आपकी दिनचर्या और खानपान का पड़ता है। इसीलिए अगर आप अपनी त्‍वचा को सुंदर बनाना चाहते हैं तो रातभर तांबे के बर्तन में रखें पानी को सुबह पी लें। ऐसा इसलिए क्‍योंकि तांबा हमारे शरीर के मेलेनिन के उत्‍पादन का मुख्‍य घटक है। इसके अलावा तांबा नई कोशिकाओं के उत्‍पादन में मदद करता है जो त्‍वचा की सबसे ऊपरी परतों की भरपाई करने में मदद करती है। नियमित रूप से इस नुस्खे को अपनाने से त्‍वचा स्‍वस्‍थ और चमकदार लगने लगेगी।
8. पाचन क्रिया को दुरुस्‍त रखें
पेट जैसी समस्‍याएं जैसे एसिडिटी, कब्‍ज, गैस आदि के लिए तांबे के बर्तन का पानी अमृत के सामान होता है। आयुर्वेद के अनुसार, अगर आप अपने शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालना चाहते हैं तो तांबे के बर्तन में कम से कम 8 घंटे रखा हुआ पानी पिएं। इससे पेट की सूजन में राहत मिलेगी और पाचन की समस्याएं भी दूर होंगी।
9. उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करें
अगर आप त्‍वचा पर फाइन लाइन को लेकर चिंतित हैं तो तांबा आपके लिए प्राकृतिक उपाय है। मजबूत एंटी-ऑक्‍सीडेंट और सेल गठन के गुणों से समृद्ध होने के कारण कॉपर मुक्त कणों से लड़ता है---जो झुर्रियों आने के मुख्‍य कारणों में से एक है---और नए और स्वस्थ त्वचा कोशिकाओं के उत्पादन में मदद करता है।
10. खून की कमी दूर करें
ज्‍यादातर भारतीय महिलाओं में खून की कमी या एनीमिया की समस्‍या पाई जाती है। कॉपर के बारे में यह तथ्य सबसे ज्यादा आश्चर्यजनक है कि यह शरीर की अधिकांश प्रक्रियाओं में बेहद आवश्यक होता है। यह शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्वों को अवशोषित कर रक्त वाहिकाओं में इसके प्रवाह को नियंत्रित करता है। इसी कारण तांबे के बर्तन में रखे पानी को पीने
11. वजन घटाने में मददगार
गलत खान-पान और अनियमित जीवनशैली के कारण कम उम्र में वजन बढ़ना आजकल एक आम समस्‍या हो गई है। अगर आप अपना वजन घटाना चाहते हैं तो एक्सरसाइज के साथ ही तांबे के बर्तन में रखा पानी पीना आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। इस पानी को पीने से शरीर की अतिरिक्त वसा कम हो जाती है।
12. कैंसर से लड़ने में सहायक
तांबे के बर्तन में रखा पानी वात, पित्त और कफ की शिकायत को दूर करने में मदद करता है। इस प्रकार से इस पानी में एंटी-ऑक्सीडेंट होते हैं, जो कैसर से लड़ने की शक्ति प्रदान करते हैं। अमेरिकन कैंसर सोसायटी के अनुसार तांबे कैंसर की शुरुआत को रोकने में मदद करता है, कैसे इसकी सटीक कारण अभी तक ज्ञात नहीं है, लेकिन कुछ अध्ययनों के अनुसार, तांबे में कैंसर विरोधी प्रभाव मौजूद होते है।
13. घाव को तेजी से भरें
तांबा अपने एंटी-बैक्‍टीरियल, एंटीवायरल और एंटी इफ्लेमेटरी गुणों के लिए जाना जाता है। इसलिए इसमें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि तांबा घावों को जल्‍दी भरने के लिए एक शानदार तरीका है।
14. दिल को स्‍वस्‍थ रखें
दिल के रोग और तनाव से ग्रसित लोगों की संख्या तेजी बढ़ती जा रही है। यदि आपके साथ भी ये परेशानी है तो तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से आपको लाभ हो सकता है। तांबे के बर्तन में रखे हुए पानी को पीने से पूरे शरीर में रक्त का संचार बेहतरीन रहता है। कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल में रहता है और दिल की बीमारियां दूर रहती हैं।