Sunday, 30 July 2017

नींबू का उपयोग

नींबू का उपयोग एक चिकित्सा उपाय
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सबसे पहले नींबू को धोकर फ्रीज़र में रखिए । ८ से १० घंटे बाद वह बर्फ़ जैसा ठंडा तथा कड़ा हो जाएगा । अब उपयोग मे लाने के लिए उसे कद्दूकस कर लें ।
इसे आप जो भी खाएँ उस पर डाल कर इसे खा सकते हैं
इससे खाद्य पदार्थ में एक अलग ही टेस्ट आऐगा ।
नीबू के रस में विटामिन सी होता है। ये आप जानते हैं
आइये देखें इसके और क्या-क्या फायदे हैं ।
🍋नीबू के छिलके में ५ से १० गुना अधिक विटामिन सी होता है और वही हम फेंक देते हैं ।
🍋नींबू के छिलके में शरीर कॆ सभी विषेले द्रव्यों को बाहर निकालने कि क्षमता होती है ।
🍋नींबू का छिलका कैंसर का नाश करता है ।इसका छिलका कैमोथेरेपी से १०,००० गुना ज्यादा प्रभावी है ।
🍋यह बैक्टेरियल इन्फेक्शन, फंगस आदि पर भी प्रभावी है ।
🍋नींबू का रस विशेषत: छिलका,  रक्तदाब तथा मानसिक दबाव को नियंत्रित करता है ।
🍋नींबू का छिलका १२ से ज्यादा प्रकार के कैंसर में पूर्ण प्रभावी है और वो भी बिना किसी साईड इफेक्ट के ।
🍋इसलिये आप अच्छे पके हुए तथा स्वच्छ नींबू फ्रीज़र में रखें और कद्दूकस कर प्रतिदिन अपने आहार के साथ प्रयोग करें ।      

Samyak Yog Pariwar Surat Gujarat🙏🙏

Thursday, 27 July 2017

#योग के फायदे #(Benefits Of #Yoga)

योग के फायदे (Benefits Of Yoga)
Samyak Yog Pariwar Surat
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फिटनेस...
योग से शारीरिक तंदुरुस्ती तो आती ही हैं, लेकिन सबसे ज्यादा मानसिक शांति मिलती हैं | इससे मन शांत रहता हैं एवम तनाव कम होता हैं | साथ ही यह शरीर की सभी क्रियाओं को नियंत्रित भी करता हैं | योग से जीवन के सभी भाव नियंत्रित होते हैं जैसे ख़ुशी, दुःख, प्यार

शरीर स्वस्थ रहता हैं :...
योग  से शरीर का ब्लड का प्रवाह नियंत्रित रहता है, जिससे शरीर में चुस्ती आती है, जो कि हानिकारक टोक्सिंस को बाहर निकालती है, जिससे शरीर के विकार दूर होते हैं और रोगियों को इससे आराम मिलता हैं | साथ ही सकारात्मकता का भाव प्रवाहित होता हैं | जिससे शरीर स्वस्थ रहता हैं |

वजन कम होता हैं :...
योग की सबसे प्रभावशाली विधा हैं सूर्य नमस्कार, जिससे शरीर में लचीलापन आता हैं | रक्त का प्रवाह अच्छा होता हैं | शरीर की अकड़न, जकड़न में आराम मिलता हैं | योग से वजन नियंत्रित रहता हैं | जिनका वजन कम है, वह बढ़ा सकते हैं और जिनका अधिक हैं वह कम होता हैं |

चिंता का भाव कम होता हैं :...
योग से मन एकाग्रचित्त रहता है, उसमे शीतलता का भाव आता है और चिंता जैसे विकारों का अंत होता हैं |योग से गुस्सा कम आता है, इससे ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है, जिससे शारीरिक एवम मानसिक संतुलन बना रहता हैं |

मानसिक शांति....
योग से मन शांत रहता हैं | दिमाग दुरुस्त होता है, जिससे सकारात्मक विचार का प्रवाह होता हैं | सकारात्मक भाव से जीवन का नजरिया बदल जाता हैं | इन्सान को किसी भी वस्तु, अन्य इन्सान या जानवर में कुछ गलत दिखाई नहीं देता | किसी के लिए मन में बैर नहीं रहता |इस तरह योग से मनुष्य का मनोविकास होता हैं |

मनोबल बढ़ता हैं :...
योग से मनुष्य में आत्मबल बढ़ता हैं, कॉन्फिडेंस आता हैं | जीवन के हर क्षेत्र में कार्य में सफलता मिलती हैं | मनुष्य हर परिस्थिती से लड़ने के काबिल होता हैं | साथ ही जीवन की चुनौतियों को उत्साह से लेता हैं

प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती हैं :...
योग  से उपापचय की क्रिया दुरुस्त होती हैं और श्वसन क्रिया संतुलित होती हैं जिससे मनुष्य में रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती हैं | बड़ी से बड़ी बीमारी से लड़ने के लिए शक्ति का संचार होता हैं |

जीवन के प्रति उत्साह बढ़ता :.....
नियमित योग करने से जीवन के प्रति उत्साह बढ़ता हैं | आत्मबल बढ़ता हैं, सकारात्मक भाव आता है, साथ ही आत्म विश्वास में भी वृद्धी होती है, जिससे जीवन के प्रति उत्साह बढ़ता हैं |

उर्जा बढ़ती हैं :....
मनुष्य रोजाना कई गतिविधियाँ करता है और दिन के अंत में थक जाता है, लेकिन अगर वह नियमित योगा (yoga) करता है, तो उसमे उर्जा का संचार होता हैं | थकावट या किसी भी काम के प्रति उदासी का भाव नहीं रहता | सभी अंगो को अपना कार्य करने के लिए पर्याप्त उर्जा मिलती है, क्यूंकि योग (yoga) से भोजन का सही मायने में पाचन होता हैं जो दैनिक उर्जा को बढ़ाता हैं |

शरीर लचीला बनता हैं....
योग (yoga) से शरीर की जकड़न खत्म होती हैं | शरीर में वसा की मात्रा कम होती हैं जिससे लचीलापन आता हैं | लचीले पन के कारण शरीर में कभी अनावश्यक दर्द नहीं रहता | और शरीर को जिस तरह का होना चाहिये, उसकी बनावट धीरे-धीरे रोजाना योग (yoga) करने से ठीक हो जाती हैं |
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Wednesday, 26 July 2017

#थायरॉइड का #उपचार

अगर आपको भी है थायरॉइड ..तो भूलकर भी न करें इन चीजों का सेवन....

देश में हर 10वां व्यक्ति इस परेशानी का शिकार है. इस बात का खुलासा इंडियन थायरॉइड सोसाइटी की एक रिपोर्ट से हुआ है.

*थायराइड - Thyroid Symptoms:-
यह थाइराक्सिन नामक हार्मोन बनाती है, गर्दन में छोटी गांठ को सामान्य माना जाता है, थाइराइड में कब्ज की समस्या शुरू हो जाती है, थायराइड में जल्द थकान होने लगती है।

थायराइड मानव शरीर मे पाए जाने वाले *एंडोक्राइन ग्लैंड* में से एक है। थायरायड ग्रंथि गर्दन मे श्वास नली के ऊपर एवं स्वर यन्त्र के दोनों ओर दो भागों में बनी होती है। इसका आकार तितली जैसा होता है। यह थाइराक्सिन नामक हार्मोन बनाती है। जिससे शरीर के ऊर्जा क्षय, प्रोटीन उत्पादन एवं अन्य हार्मोन के प्रति होने वाली संवेदनशीलता नियंत्रित होती है।

आमतौर पर शुरुआती दौर में थायराइड के किसी भी लक्षण का पता आसानी से नही चल पाता, क्योंकि गर्दन में छोटी सी गांठ सामान्य ही मान ली जाती है। जब तक इसे गंभीरता से लिया जाता है, तब तक यह भयानक रूप ले लेता है। इसलिए हमें थायराइड के प्रारंभिक लक्षणों के बारे में पता होना चाहिए। आइये जानते हैं कि आखिर इस बीमारी के लक्षण क्या हैं।

*थायराइड के प्रारंभिक लक्षण*
*कब्ज* – थाइराइड होने पर कब्ज की समस्या शुरू हो जाती है। खाना पचाने में दिक्कत होती है। साथ ही खाना आसानी से गले से नीचे नहीं उतरता। शरीर के वजन पर भी असर पड़ता है।

*हाथ-पैर ठंडे रहना* – थाइराइड होने पर आदमी के हाथ पैर हमेशा ठंडे रहते है। मानव शरीर का तापमान सामान्य यानी 98.4 डिग्री फॉरनहाइट (37 डिग्री सेल्सियस) होता है, लेकिन फिर भी उसका शरीर और हाथ-पैर ठंडे रहते हैं।

*प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होना –* थाइराइड होने पर शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम़जोर हो जाती है। इम्यून सिस्टम कमजोर होने के चलते उसे कई बीमारियां लगी रहती हैं।

*थकान –* थाइराइड के लक्षण में जल्द थकान होना भी शामिल है। उसका शरीर सुस्त रहता है। वह आलसी हो जाता है और शरीर की ऊर्जा समाप्त होने लगती है।

*त्वचा का सूखना या ड्राई होना–* थाइराइड से ग्रस्त व्यक्ति की त्वचा सूखने लगती है। त्वचा में रूखापन आ जाता है। त्वचा के ऊपरी हिस्से के सेल्स की क्षति होने लगती है जिसकी वजह से त्वचा रूखी-रूखी हो जाती है।

*डिप्रेशन-* थाइराइड की समस्या होने पर आदमी हमेशा डिप्रेशन में रहने लगता है। उसका किसी भी काम में मन नहीं लगता है, दिमाग की सोचने और समझने की शक्ति कमजोर हो जाती है। याद्दाश्त भी कमजोर हो जाती है।

*मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द-* मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द और साथ ही साथ कमजोरी का होना भी थायराइड की समस्या के लक्षण हो सकते है।

*परिवार का इतिहास-* यदि आप के परिवार में किसी को थायराइड की समस्या है तो आपको थायराइड होने की संभावना ज्यादा रहती है।

*शारीरिक व मानसिक विकास-* थाइराइड की समस्या होने पर शारीरिक व मानसिक विकास धीमा हो जाता है।
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महिलाओं में थायरॉइड के मामले तेजी से बढ़े हैं.लोगों में जागरुकता न होने के कारण ये बीमारी तेजी से अपने पैर पसार रही है. इस बीमारी की वजह से अस्थमा, कोलेस्ट्रॉल, डिप्रेशन, डायबिटीज, इंसोमीनिया और दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ा है. आप भी अगर इस परेशानी से जुझ रहे हैं तो आपको इन चीजों को खाने से परहेज करना चाहिए.

1) थायरॉइड ग्लैंड्स हमारे शरीर से आयोडीन लेकर थायरॉइड हार्मोन पैदा करते हैं, अगर आपको हाइपोथायरॉइड से जुझ रहे हैं तो आप खाने-पीने की चीजों से हमेशा दूरी बनाए रखें. इसी के साथ सी फूड खाने का भी सेवन न करें.

2) आप भी अगर कॉफी पीते हैं तो कैफीन से दूरी बना ले क्योंकि ये सीधे थायरॉइड को नहीं बढ़ाता, कैफिन को लेने से ये उन परेशानियों की जरूरत बढ़ा देता है जो थायरॉइड की वजह से पैदा होती है.

3) क्या आप जानते हैं कि रेड मीट में कोलेस्ट्रॉल और सेचुरेडेट फैट बहुत होता है. इसे खाने से वजन भी तेजी से बढ़ता है. थायरॉइड वालों को वजन वैसे भी तेजी से बढ़ता है, इसी कारण आप भी इसके सेवन से दूरी बनाएं. 

4) शराब और बीयर शरीर में एनर्जी के लेवल को प्रभावित करता है, इससे थायरॉइड की समस्या वाले लोगों की नींद में दिक्कत की शिकायत और बढ़ जाती है, साथ ही ओस्टियोपोरोसिस का खतरा भी बढ़ जाता है.

 
उपचार....
इसलिए दवा के साथ कुछ नियम जान लें कुछ ही दिनो में थाइराइड से आराम मिल जायेगा।

✍1: घर से रिफाइंड तेल बिलकुल हटा दीजिये, न सोयाबीन न सूरजमुखी, भोजन के लिए सरसों का तेल, तिल का तेल या देशी घी का प्रयोग करें।

✍2: आयोडीन नमक के नाम से बिकने वाला ज़हर बंद करके सेंधा नमक का प्रयोग करें, समुद्री नमक BP, थाइराइड, त्वचा रोग और हार्ट के रोगों को जन्म देता है।

✍3: दाल बनाते समय सीधे कुकर में दाल डाल कर सीटी न लगाएं, पहले उसे खुला रखें, जब एक उबाल आ जाये तब दाल से फेना जैसा निकलेगा, उसे किसी चमचे से निकाल कर फेंक दें, फिर सीटी लगा कर दाल पकाएं।

इन तीन उपायों को अगर अपना लिया तो पहले तो किसी को थाइराइड होगा नही और अगर पहले से है तो दवा खा कर कुछ ही दिनो
में ठीक हो जायेगा।

दवा...
2 चम्मच गाजर का रस
3 चम्मच खीरे का रस
1 चम्मच पिसी अलसी

तीनो को आपस में मिला कर सुबह खाली पेट खा लें।
इसे खाने के आधे घंटे बाद तक कुछ नही खाना है।

ये इलाज़ रोज सुबह खाली पेट कर लें कुछ ही दिनो में परिणाम देख लें।इसके साथ उज्जायी प्राणायाम व् सिंह गर्जन आसान जरूर करें।

Tuesday, 25 July 2017

#Pani kese piye

खड़े होकर पानी पीने के नुकसान
Samyak Yog Pariwar Surat Gujarat
Director- Yogacharya Bharat 96908 37831
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क्या आप जानते हैं कि सही तरीके से पानी न पीने के कारण आप कई बीमारियों को दावत भी दे सकते हैं.

आर्युवेद के अनुसार हमें कभी भी खड़े होकर पानी नहीं पीना चाहिए. अगर आपकी भी खड़े होकर पानी पीने की आदत है तो जान लें कि आप जाने अनजाने में अपना वर्तमान और भविष्य दोनों ही कराब कर रहें हैं.
खड़े होकर पानी पीने की आदत –

1 किडनी के रोग-
गुर्दे अर्थात किडनी का काम होता है पानी को छानना. खड़े होकर पानी पीने पर पानी गुर्दो से बिना सही तरीके से छने ही बह जाते है. समय के साथ आपके मुत्राशय और रक्त में गंदगी जमने लगती है. अगर यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहे तो मूत्राशय, दिल और गुर्दे की बीमारी को जन्म देती है.

2 पेट की बीमारी-
खड़े होकर पानी पीने से पानी खाद्य नलिका के जरिए तेजी से नीचे बह जाता है और पेट की अंदरूनी दीवार और आसपास के अंगों पर पानी की तेज धार पड़ने के कारण क्षति पहुंचती है. बार-बार ऐसा होते रहने से पाचन तंत्र बिगड़ जाता है. इससे दिल को भी नुकसान पहुंचता है.

3 Arthrits और Gout की समस्या-
अगर आप खड़े होकर पानी पीते हैं तो भविष्य में आपको Arthritis जैसी भयंकर बीमारी का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि खड़े होकर पानी पीने से शरीर में तरल पदार्थ का संतुलन बिगड़ जाता है. पानी सीधा तीव्र वेग से नीचे की और जाता है जो के जोड़ों में मौजूद तरल पदार्थों का संतुलन बिगाड़ कर वहां संचित होना शुरू हो जाता है, जिस कारण से जोड़ों में दर्द और गठिया की समस्या उत्पन्न हो जाती है.

4. प्यास नहीं बुझती

खड़े होकर पानी पीने से जल्दी प्यास नहीं बुझती, और आयुर्वेद में कहा भी गया है के पानी ऐसे पियो के जैसे खा रहे हो और खाना ऐसे खाओ के जैसे पी रहे हो अर्थात खाने को मुंह में इतना चबाओ के उसका पानी बन जाए.

5. अपच – Indigestion

खड़े हो कर पानी पीने से पेट को आराम नहीं मिलता, पेट पर अधिक जोर आता है, बैठ कर पानी पीने से पेट को आराम मिलता है जिस से ये और भी Better काम करता है.

6. शरीर में Acids को कण्ट्रोल करना

खड़े होकर पानी पीने से शरीर एसिड को अच्छे से कण्ट्रोल नहीं कर पाता. जिस से शरीर में एसिड बढ़ जाते हैं, और एसिडिटी सहित अनेक समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं.

7. अलसर और हृदय में जलन

खड़े रह कर पानी पीना सीने में जलन और अलसर जैसे रोग भी पैदा कर सकता है. ऐसे में ये esophagus के निचले हिस्से को बुरी तरह प्रभावित करता है. जहाँ से फिर Reflux वापिस आता है. और ये Sphincter को Disturb करता है. जिस कारण सीने और हृदय में जलन महसूस होती है और अल्सर जैसे रोगों को बढ़ावा मिलता है.

8. नसों में तनाव

जब आप खड़े हो कर पानी पीते हैं तो शरीर का  “fight and flight system” Activate हो जाता है, जिस से सभी नसे तन जाती हैं. इसके विपरीत जब आप बैठ कर पानी पीते हैं तो ‘rest and digest system’ Activate हो जाता है. जो के सभी इन्द्रियों को शांत करता है जिस से Digestion system भी सही रहता है.

तो समझ गए न आप. स्वस्थ रहने के लिए जितना जरूरी है खूब सारा पानी पीने की उससे अधिक जरूरी है सही तरीके से पानी पीने की. अगर आप भी खड़े होकर पानी पीते हैं तो यह आदत बदल लीजिए और बैठकर पानी पीने की आदत डाल लीजिए. वैसे यहाँ बैठना भी वही बैठना है जैसे भारतीय संस्कृति में अर्थात उकडू, बैठने का सही मतलब कुर्सी पर बैठना नहीं है.
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Monday, 10 July 2017

Heart

*हृदय की बीमारी*

आयुर्वेदिक इलाज !!
हमारे देश भारत मे 3000 साल एक बहुत बड़े ऋषि हुये थे उनका नाम था महाऋषि वागवट जी !! उन्होने एक पुस्तक लिखी थी जिसका नाम है अष्टांग हृदयम!!(Astang  hrudayam)
और इस पुस्तक मे उन्होने ने बीमारियो को ठीक करने के लिए 7000 सूत्र लिखे थे ! ये उनमे से ही एक सूत्र है !! वागवट जी लिखते है कि कभी भी हृदय को घात हो रहा है ! मतलब दिल की नलियों मे blockage होना शुरू हो रहा है ! तो इसका मतलब है कि रक्त (blood) में े acidity(अम्लता ) बढ़ी हुई है !

अम्लता आप समझते है !
जिसको अँग्रेजी मे कहते है acidity !!

अम्लता दो तरह की होती है !
एक होती है पेट कि अम्लता !
और एक होती है रक्त (blood) की अम्लता !!

आपके पेट मे अम्लता जब बढ़ती है !
तो आप कहेंगे पेट मे जलन सी हो रही है !!
खट्टी खट्टी डकार आ रही है !
मुंह से पानी निकाल रहा है !
और अगर ये अम्लता (acidity)
और बढ़ जाये ... तो hyperacidity होगी !

और यही पेट की अम्लता बढ़ते-बढ़ते जब रक्त मे आती है तो रक्त अम्लता(blood acidity) होती !!

और जब blood मे acidity बढ़ती है तो ये अम्लीय रक्त (blood) दिल की नलियो मे से निकल नहीं पाता ! और नालियों मे blockage कर देता है !
तभी heart attack होता है !!.
इसके बिना heart attack नहीं होता !!

और ये आयुर्वेद का सबसे बढ़ा सच है जिसको कोई डाक्टर आपको बताता नहीं !
क्योंकि इसका इलाज सबसे सरल है !!

इलाज क्या है ??

वाग्भट्ट जी लिखते हैं कि जब रक्त (blood) मे अम्लता (acidity) बढ़ गई है ...तो आप ऐसी चीजों का उपयोग करो जो क्षारीय हैं !

आप जानते हैं  दो तरह की चीजे होती हैं !
अम्लीय और क्षारीय !!
(acid and alkaline )
अब अम्ल और क्षार को मिला दो तो क्या होता है ! ?
((acid and alkaline को मिला दो तो क्या होता है )? neutral होता है सब जानते हैं !
तो वाग्भट जी लिखते हैं कि रक्त की अम्लता बढ़ी हुई है तो क्षारीय(alkaline) चीजें खाओ ! तो रक्त की अम्लता (acidity) neutral हो जाएगी !!! और रक्त मे अम्लता neutral हो गई ...तो heart attack की जिंदगी मे कभी संभावना ही नहीं !!

ये है सारी कहानी !!
अब आप पूछोगे जी ऐसे कौन सी चीजे है जो क्षारीय हैं और हम खायें ?

आपके रसोई घर मे सुबह से शाम तक ऐसी बहुत सी चीजे हैं जो क्षारीय हैं !.

जिन्हें आप खायें तो कभी heart attack न आए ! और अगर आ गया है ...तो दुबारा न आए !! सबसे ज्यादा आपके घर मे क्षारीय चीज है वह है लौकी !

जिसे दुदी भी कहते हैं !
english मे इसे कहते है bottle gourd !!!
जिसे आप सब्जी के रूप मे खाते हैं !
इससे ज्यादा कोई क्षारीय चीज ही नहीं है !
तो आप रोज लौकी का रस निकाल-निकाल कर पियो !! या कच्ची लौकी खाओ !!

रामदेव को आपने कई बार कहते सुना होगा लौकी का जूस पीयो, लौकी का जूस पीयो !

3 लाख से ज्यादा लोगों को उन्होने ठीक कर दिया लौकी का जूस पिला पिला कर !! और उसमें हजारो डाक्टर हैं ! जिनको खुद heart attack होने वाला था !! वो वहां जाते हैं लौकी का रस पी कर आते है !!
3 महीने 4 महीने लौकी का रस पीकर वापिस आते हैं आकर फिर clinic पर बैठ जाते हैं !
वो बताते नहीं हम कहाँ गए थे !
वो कहते हैं हम न्युयार्क गए थे ...हम जर्मनी गए थे आपरेशन करवाने !
वो बाबा रामदेव के यहां गए थे ! और 3 महीने लौकी का रस पीकर आए है ! आकर फिर clinic मे आपरेशन करने लग गए हैं ! और वो आपको नहीं बताते कि आप भी लौकी का रस पियो !! तो मित्रो जो ये रामदेव बताते हैं ...
वे भी वागभट्ट जी के आधार पर ही बताते है !! वागभट्ट जी कहते हैं रक्त की अम्लता कम करने की सबसे ज्यादा ताकत लौकी में ही है !
तो आप लौकी के रस का सेवन करें !!

कितना करें ??
रोज 200 से 300 मिलीग्राम पियो !!
कब पियें ?

सुबह खाली पेट (toilet जाने के बाद ) पी सकते हैं !!
या नाश्ते के आधे घंटे के बाद पी सकते हैं !!
इस लौकी के रस को आप और ज्यादा क्षारीय बना सकते है !  इसमें  7 से 10 पत्ते के तुलसी के डाल लो तुलसी बहुत क्षारीय है !! इसके साथ आप पुदीने से 7 से 10 पत्ते मिला सकते हैं । पुदीना बहुत क्षारीय है ! इसके साथ आप काला नमक या सेंधा नमक जरूर डालें ! ये भी बहुत क्षारीय है !! लेकिन याद रखें नमक काला या सेंधा ही डाले !  दूसरा आयोडीन युक्त नमक कभी न डाले ! ये आओडीन युक्त नमक अम्लीय है !!
तो मित्रों आप इस लौकी के जूस का सेवन जरूर करें !
2 से 3 महीने आपकी सारी heart की blockage ठीक कर देगा !!
21 वें दिन ही आपको बहुत ज्यादा असर दिखना शुरू हो जाएगा !!!
कोई आपरेशन की आपको जरूरत नहीं पड़ेगी !!
घर मेें  ही हमारे भारत के आयुर्वेद से
इसका इलाज हो जाएगा !! और आपका अनमोल शरीर और लाखों रुपए आपरेशन के बच जाएँगे !